18 दिसंबर को खेले गए फीफा विश्व कप के फाइनल में अर्जेंटीना ने फ्रांस को हराकर विश्व कप अपने नाम कर लिया। रोमांचक फाइनल में अर्जेंटीना ने फ्रांस को पेनल्टी शूट आउट के जरिए 4-2 से मात दी। इससे पहले दोनों टीमें निर्धारित समय में 2-2 से बराबरी पर रहीं। अतिरिक्त समय में दोनों टीमों ने 1-1 गोल और करते हुए स्कोर 3-3 कर दिया था। फिर फैसला पेनल्टी शूट आउट के द्वारा हुआ।
इस खिताबी जीत के साथ अर्जेंटीना ने अपने खिताब के 36 साल के सूखे को समाप्त कर दिया। अर्जेंटीना ने आखिरी बार 1986 में मेराडोना की अगुवाई में विश्व कप खिताब जीता था। उसके बाद 1990 में और 2014 में टीम ने फाइनल में जगह जरूर बनाई, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। और महज रनर अप बनकर ही संतोष करना पड़ा।
अर्जेंटीना ने 1986 में दूसरी बार चैंपियन बनने से पहले 1978 में पहली बार खिताब अपने नाम किया था। लेकिन 1986 के बाद से खिताब की दावेदार माने जाने के बावजूद अर्जेंटीना को हर बार निराशा ही हाथ लगी। लेकिन अर्जेंटीना के फुटबॉल के दीवानों ने फिर भी टीम का साथ नहीं छोड़ा, और खिताब की आस में हर बार टीम का पुरजोर समर्थन किया। आखिरकार उनकी तमन्ना पूरी हो ही गई। इस बार उनकी टीम ने उन्हें निराश नहीं किया। और खिताब के सूखे को खत्म कर खिताब अपने नाम कर लिया।
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अर्जेंटीना में फुटबॉल के प्रति दीवानगी का गजब का आलम
अर्जेटीना में फुटबॉल की दीवानगी ठीक वैसी ही है, जैसे हमारे देश में क्रिकेट की है। जैसे कि सभी वो पता है कि क्रिकेट भारत में एक धर्म जैसा है, ठीक वैसी ही स्थिति फुटबॉल की अर्जेंटीना में है। अर्जेंटीना के लोग फुटबॉल के पीछे एक दम दीवाने हैं। वो फुटबॉल के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। यहां के लोगों में फुटबॉल के खेल को लेकर अजीब सा जुनून है।
अर्जेंटीना में लोग काफी गरीबी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उन्हें अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक से ज्यादा काम करने पड़ते हैं। फिर भी काफी लोगों को दो टाइम की रोटी नसीब नहीं होती। लेकिन फिर भी उन्हें शिकायत नहीं है, बस वो वर्ल्ड कप अपने देश में आते देख सन्तुष्ट होने को तैयार हैं। ये उनकी फुटबॉल के प्रति गजब की दीवानगी को दर्शाता है।
अर्जेंटीना के लोगों के फुटबॉल प्रेम का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लम्बे समय से बेहद खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे अर्जेंटीना की अधिकांश जनता की माली हालत काफी दयनीय है। लेकिन फिर भी विश्व कप में अपनी टीम का समर्थन करने के अपना सब कुछ दाव पर लगा कर जैसे-तैसे ये लोग कतर पहुंचे। किसी ने अपना कुछ सामान गिरवी रखा, तो किसी ने अपना घर बेचा और किसी ने तो अपनी दुकान तक बेच दी। और वो इस बात से खुश हैं कि मेसी की अगुवाई में टीम ने इस बार उनका सपना पूरा कर ही दिया।