भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 9 फरवरी से 4 मैचों की बॉर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज का आगाज होने जा रहा है। दोनों देशों के क्रिकेट प्रेमियों के साथ-साथ दुनियाभर के दिग्गज बड़ी ही बेसर्बी के साथ इस सीरीज का इंतजार कर रहे हैं। आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिहाज से टीम इंडिया के लिए ये श्रृंखला काफी अहम होने वाली है।
इस बात में कोई शक नहीं है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली ये सीरीज बहुत रोमांचक होने वाली है। एक तरफ विराट कोहली, रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा और रविचंद्रन अश्विन जैसे खिलाड़ी है, तो दूसरी ओर स्टीव स्मिथ, डेविड वॉर्नर, पैट कमिंस और मार्नस लाबुशेन का नाम आता है।
ये दोनों टीमें जब-जब एक दूसरे के आमने-सामने होती है तब-तब दोनों ही टीमों का नाम विवादों के साथ जरूर जुड़ जाता है। अभी तक दोनों देशों के खिलाड़ियों के बीच आपसी मतभेद और बड़े विवादों के कई किस्से दुनियाभर के सामने आ चुके हैं।
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आइए डालते हैं, एक नजर बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के 5 बड़े विवादों पर...
मंकीगेट विवाद (सिडनी टेस्ट, 2007-08)
जब-जब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट सीरीज में हुए विवादों को याद किया जाएगा, तब-तब में सिडनी में हुआ मंकीगेट विवाद का जिक्र जरूर होगा। 2007-08 में टीम इंडिया अनिल कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। सीरीज का दूसरा टेस्ट सिडनी में खेला गया था। इस मैच के दौरान ऐसा विवाद देखने को मिला, जिसकी चर्चा आज तक क्रिकेट के गलियारों में की जाती है।
विवाद दिग्गज भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह और ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर एंड्रयू साइमंड्स के बीच हुआ था। मैच के दौरान साइमंड्स ने भज्जी पर नस्लीय टिप्पणी (हरभजन का साइमंड्स को बंदर कहना) के आरोप लगाए थे। इस आरोप के बाद भारतीय स्पिनर पर लेवल 3 का चार्ज लगाया गया था और उनके ऊपर 3 मैच का बैन भी लगा था। भज्जी पर 50 प्रतिशत मैच फीस का जुर्माना भी लगा था।
बात यहीं नहीं रुकी और मामला सिडनी कोर्ट तक पहुंच गया। आरोपों की जांच के लिए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अनुशासनात्मक पैनल का गठन किया। इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने हरभजन को लेकर काफी उल्टी-सीधी बातें कही। बीसीसीआई ने तो दौरा बीच में रद्द करने की धमकी तक दे डाली थी।
बाद में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की बैठक में सचिन तेंदुलकर के बयान के बाद हरभजन सिंह के बैन को 3 मैच से हटाकर 1 मैच का कर दिया गया था। सिडनी टेस्ट मेजबान टीम ने 122 रन से जीता था।
गंभीर से भिड़े वाटसन (दिल्ली टेस्ट, 2008)
2008 में ऑस्ट्रेलिया की टीम रिकी पोंटिंग की अगुआई में भारत दौरे पर आई थी। सीरीज का दूसरा टेस्ट दिल्ली में खेला गया था। टीम इंडिया सीरीज में 1-0 से आगे थी। दिल्ली टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर शेन वाटसन भारतीय ओपनर गौतम गंभीर से उलझ गए थे।
दरअसल, मैच के दौरान गंभीर ने एक शॉट खेला और रन लेने के लिए दौड़ पड़े। गंभीर जब पहला रन पूरा कर रहे थे, तब वाटसन ने उन्हें स्लेज किया। गंभीर कुछ नहीं बोला और दूसरा रन पूरा करते समय उन्होंने रनिंग के बीच में आ रहे शेन वाटसन को कोहनी मार दी।
कोहनी लगने के बाद शेन तिलमिला गए और अंपायर से इस बात की शिकायत कर डाली। मैच के बाद गंभीर ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने जानबूझकर वाटसन को कोहनी नहीं मारी थी। हालांकि आईसीसी ने भारतीय खिलाड़ी पर एक टेस्ट मैच का बैन लगा दिया। गंभीर ने इस मैच की पहली पारी में 206 रन बनाए थे। ये मुकाबला बिना किसी नतीजे के समाप्त हुआ था।
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कोहली ने दिखाई मिडल फिंगर (सिडनी टेस्ट, 2012)
2011-12 का ऑस्ट्रेलियाई दौरे भारत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। टीम को 2011 का वनडे वर्ल्ड कप जीते एक साल भी नहीं हुआ था और इस दौरे पर धोनी एंड कंपनी को चारों टेस्ट मैच में हार नसीब हुई थी। सीीज का दूसरा मैच सिडनी में खेला गया था, जहां विराट कोहली एक बड़े विवाद का हिस्सा बन गए थे।
सिडनी टेस्ट के दौरान कोहली ने मैदान पर ऐसी हरकत कर दी, जिसके बाद ना सिर्फ उनका बल्कि पूरे भारत देश का भी अपमान किया गया। दरअसल, विराट ने बीच मैदान पर दर्शकों को मिडर फिंगर दिखाई थी। इस व्यवहार के बाद कोहली पर 50 प्रतिशत मैच फीस का जुर्माना भी लगाया गया था।
इस विवाद के बाद विराट कोहली ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि ''मैं मानता हूँ, कि क्रिकेट प्लेयर्स को इस तरह की प्रतिक्रियाएं नहीं देनी चाहिए, लेकिन जब दर्शक मैदन पर अपशब्दों का प्रयोग करे तब क्या?''
द्रविड़ से उलझे स्लेटर (मुंबई टेस्ट, 2001)
2001 में ऑस्ट्रेलिया की टीम स्टीव वॉ की कप्तानी में भारत दौरे पर आई थी। टीम जीत के रथ पर सवार थी और सीरीज के पहले मैच में कंगारू टीम ने भारत को एकतरफा मुकाबले में 10 विकेट से हराया था। ये मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था। इस मैच के दौरान भी एक बड़ा विवाद हुआ था।
मैच में राहुल द्रविड़ ने एक पुल शॉट खेला। गेंद मिस्टाइम होने की वजह से हवा में चली गई और माइकल स्लेटर ने डाइव लगाकर कैच पकड़ा। इस कैच को लेकर द्रविड़ संतुष्ट नजर नहीं आए और क्रीज पर खड़े रहे। इतना ही नहीं अंपायर एस वेंकटराघन ने भी उन्हें नॉट आउट करार दिया।
रिप्ले में कैच साफ नजर नहीं आया। इसी बीच स्लेटर अपना आपा खो बैठे और अंपायर से बहस करने लगे। उन्होंने राहुल द्रविड़ के साथ भी गाली गलौज किया। इस व्यवहार के बाद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी पर जुर्माना लगाया गया था।
सचिन-मैकग्रा (एडिलेड टेस्ट, 1999)
1999 में भारतीय टीम 3 मैचों की सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। सीरीज का पहला मैच एडिलेड में खेला गया था। उस समय सचिन तेंदुलकर अपने करियर के शिखर पर थे और दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई पेसर ग्लेन मैकग्रा ने भी अपने खौफ बनाया हुआ था। सीरीज के शुरू होने से पहले मैकग्रा कई बार अपने बयानों यह कह चुके थे कि वह सचिन को जरूर आउट करेंगे।
एडिलेड में ऐसा हुआ भी... दूसरी पारी में उन्होंने तेंदुलकर को एक बाउंसर गेंद डाली। हालांकि गेंद काफी नीची रही। बाउंसर समझकर सचिन गेंद से बचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन गेंद उनके कंधे से जा टकराई। मैकग्रा की अपील पर अंपायर डेरल हार्पर ने मास्टर ब्लास्टर को LBW आउट करार दे दिया।
अंपायर के इस फैसले ने विवाद को जन्म दे दिया। क्रिकेट जगत से लेकर फैंस तक के बीच इस फैसले को लेकर काफी चर्चा हुई। भारत ने ये मैच 285 रन से हारा था और सीरीज में भी क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा था।
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