क्रिकेट खेलने वाले हर खिलाड़ी का सपना होता है, कि वो एक दिन भारत के लिए खेले। लेकिन ये अवसर गिने-चुने खिलाड़ियों को ही मिलता है। कई खिलाड़ी बहुत प्रतिभावान होकर भी टीम में जगह नहीं बना पाते क्योंकि टीम में जगह बनाने के लिए प्रतिभा के साथ-साथ किस्मत की भी जरूरत होती है।
कुछ ऐसे ही प्रतिभाशाली हुए हैं, जिन्हें अपार प्रतिभा और शानदार प्रदर्शन के बावजूद खेलने का अवसर नहीं मिल सका। आज हम ऐसे ही 5 बदनसीब भारतीय क्रिकेटरों की बात करेंगे, जो घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी टीम में जगह नहीं बना पाए।
1- पदमाकर शिवालकर
बॉम्बे के लिए खेलने वाले बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स स्पिनर पदमाकर शिवालकर घरेलू क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्हें भारतीय टीम में जगह मिलनी चाहिए थी, लेकिन बदकिस्मती से वो टीम में जगह नहीं बना पाए । सुनील गावस्कर जैसे बल्लेबाज भी पदमाकर शिवालकर की प्रतिभा के कायल थे। उनके इंडिया के लिए न खेल पाने को लेकर गावस्कर आज भी अफसोस जाहिर करते हैं।
इसकी वजह ये थी कि उस समय पहले से ही भारतीय टीम में स्पिन चौकड़ी बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, आर वेंकट राघवन और भागवत चंद्रशेखर के रूप में मौजूद थी। इसलिए अच्छे प्रदर्शन के बावजूद पदमाकर शिवालकर भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाए।
लगभग 50 वर्ष की आयु तक खेलने वाले पदमाकर शिवालकर ने 124 मैच खेल कर 589 विकेट लिए। उन्होंने 42 बार एक पारी में 5 और 13 बार एक मैच में 10 विकेट लिए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 16 रन पर 8 विकेट रहा।
2- राजिंदर गोयल
राजिंदर गोयल 1958 से 1985 तक दिल्ली, हरियाणा, पटियाला और दक्षिण पंजाब के लिए खेले। वो बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स स्पिनर थे। सुनील गावस्कर इनकी प्रतिभा के भी कायल थे, और उनके इंडिया के लिए न खेल पाने को लेकर अब भी निराशा व्यक्त करते हैं।
राजिंदर गोयल ने 157 मैच में रिकॉर्ड 750 विकेट लिए हैं। उन्होंने 59 बार एक पारी में 5 विकेट और 18 बार एक मैच में 10 विकेट लिए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 55 रन देकर 8 विकेट का रहा है।
राजिंदर गोयल भारतीय घरेलू क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक रहे हैं। उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें भारतीय टीम में जगह दी जानी चाहिए थी, लेकिन बदकिस्मती से वो कभी भी भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए। अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उनको हमेशा नज़रअंदाज किया गया, क्योंकि उस समय टीम में पहले से ही स्पिन चौकड़ी बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, आर वेंकट राघवन और भागवत चंद्रशेखर के रूप में मौजूद थी।
3- आशीष विस्टन जैदी
आशीष विस्टन जैदी घरेलू क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक हैं। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें भारतीय टीम में जगह मिलनी चाहिए थी, लेकिन निरन्तर अच्छे प्रदर्शन के बावजूद दुर्भाग्यवश वो कभी टीम में जगह नहीं बना पाए। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी इनकी प्रतिभा के भी कायल थे।
अपनी गेंदबाजी से उन्होंने उस समय के सभी बल्लेबाजों जिसमें सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं, को खूब परेशान किया। हालांकि टीम में चयन को लेकर उनका नाम कई बार चर्चा में आया, लेकिन उनके हाथ हर बार निराशा ही लगी।
आशीष विस्टन जैदी ने अपने 18 साल के लंबे करियर में 157 प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए 427 विकेट अपने नाम किए। आखिरकार उन्हें भारतीय टीम के लिए खेले बिना ही खेल को अलविदा कहना पड़ा।
4- अमोल मजूमदार
मुंबई के लिए खेलने वाले अमोल मजूमदार ने अपने घरेलू मुकाबलों की शुरुआत शानदार की थी। उनके पूरे करियर के आँकड़े शानदार रहे। जो साबित करते हैं कि उन्हें भारतीय टीम में जगह मिलनी चाहिए थी, लेकिन बदकिस्मती से वो टीम में जगह नहीं बना पाए ।
हालांकि उनके टीम में चयन को लेकर उनका नाम कई बार चर्चा में आया, लेकिन टीम में पहले ही तेंदुलकर, द्रविड़, गांगुली, लक्ष्मण आदि दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे इसलिए उन्हें हर बार निराश हाथ लगी।
अमोल मजूमदार ने अपने घरेलू क्रिकेट कैरियर में 171 मुकाबले खेलते हुए 11,167 रन बनाए थे। इस दौरान अमोल मजूमदार के बल्ले से 30 शतक और 60 अर्धशतक निकले थे। जो साबित करते हैं कि वो घरेलू क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक हैं।
5- मिथुन मन्हास
दिल्ली के लिए खेलने वाले दाएं हाथ के बेहतरीन बल्लेबाज मिथुन मन्हास लंबे समय तक घरेलू क्रिकेट में क्रिकेट खेले। मिथुन मन्हास ने घरेलू क्रिकेट में काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया। लेकिन दमदार प्रदर्शन के बावजूद भी उन्हें एक बार भी इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला।
अगर भारतीय घरेलू क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ियों की बात किया जाए तो इसमें मिथुन मन्हास का नाम भी लिया जाता है। घरेलू क्रिकेट में उनका शानदार प्रदर्शन दिखाता है कि उन्हें भारतीय टीम में जगह मिलनी चाहिए थी, लेकिन बदकिस्मती से वो टीम में जगह नहीं बना पाए ।
मिथुन मन्हास अपने क्रिकेट कैरियर में 157 मैच खेल कर 9,714 रन बनाए। मिथुन मन्हास ने इस दौरान 27 शतक और 49 अर्धशतक भी लगाए। लेकिन चयनकर्ताओं ने उनको हमेशा नजरअंदाज किया और वो कभी भी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन सके।