आखिर टीम इंडिया में चुने जाने का आधार क्या है (भाग -1) - रवि विश्नोई

सबसे ज्यादा प्रेशर वाला मैच होता है भारत-पाकिस्तान मुकाबला। एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के इस हाई प्रेशर मैच में प्रतियोगिता में दूसरी बार भिड़ रही थीं भारत-पाकिस्तान की टीमें। चोटों से जूझती भारत को तब झटका लगता है, जब पिछले मैच में खेले उसके 2 गेंदबाज चोट के कारण टीम से बाहर चले जाते हैं। जिनमें से एक खिलाड़ी रविन्द्र जडेजा पिछली जीत के नायक थे। टीम इनकी जगह एक बैटिंग ऑल राउंडर दीपक हुड्डा को शामिल करती है, तो दूसरी जगह के लिए टीम में मौजूद अनुभवी खिलाड़ी आर अश्विन को दरकिनार करते हुए एक नए टेले

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By puneet sharma
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आखिर टीम इंडिया में चुने जाने का आधार क्या है (भाग -1)  - रवि विश्नोई

सबसे ज्यादा प्रेशर वाला मैच होता है भारत-पाकिस्तान मुकाबला। एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के इस हाई प्रेशर मैच में प्रतियोगिता में दूसरी बार भिड़ रही थीं भारत-पाकिस्तान की टीमें। चोटों से जूझती भारत को तब झटका लगता है, जब पिछले मैच में खेले उसके 2 गेंदबाज चोट के कारण टीम से बाहर चले जाते हैं। जिनमें से एक खिलाड़ी रविन्द्र जडेजा पिछली जीत के नायक थे। टीम इनकी जगह एक बैटिंग ऑल राउंडर दीपक हुड्डा को शामिल करती है, तो दूसरी जगह के लिए टीम में मौजूद अनुभवी खिलाड़ी आर अश्विन को दरकिनार करते हुए एक नए टेलेंट रवि विश्नोई को मौका देती है, टूर्नामेंट में अपना पहला मैच खेलने का।

युवा रवि विश्नोई को सिर्फ मौका ही नहीं दिया जाता, बल्कि प्लेइंग इलेवन में अनुभवी स्पिनर युजवेंद्र चहल के मौजूद होने पर भी पावर प्ले में गेंदबाजी कर पाकिस्तानी ओपनिंग जोड़ी को तोड़ने की जिम्मेदारी भी जाती है। कितनी कठिन चुनौती थी, इस युवा के सामने। लेकिन ये युवा विश्नोई उम्मीदों पर खरा उतरता है, और दिग्गज पाकिस्तानी बल्लेबाज बाबर आज़म को आउट भी कर देता है। 

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इसके बाद इस युवा को एक और चुनौती दी जाती है, स्लॉग ओवर्स में आकर 18वां ओवर डालने की। ये फिर खरा उतरता है, ये युवा उस ओवर में ज्यादा रन नहीं देता, और पाकिस्तानी टीम की मुश्किलें और बढ़ा देता है। यही नहीं अगर इस ओवर में अगर आसिफ अली का वो कैच नहीं छूटा होता, तो शायद भारत मैच भी जीत लेता। इस मैच में वो अपने से ज्यादा अनुभवी गेंदबाजो के होते हुए भी भारत के सबसे प्रभावशाली गेंदबाज थे।

मजेदार बात है कि इस शानदार प्रदर्शन का ईनाम उन्हें बाकी की पूरी प्रतियोगिता में बैंच पर बैठा कर दिया जाता है। ये ईनाम भी उन्हें कम न लगे, इसलिए उन्हें विश्व कप के लिए घोषित की गई टीम से भी बाहर कर दिया जाता है। हाँ लोग इस बात का ज्यादा विरोध न करें, इसलिए उन्हें स्टैंडबाई के तौर पर रख लिया जाता है।

मैंने दो दिन पहले एक आर्टिकल किया था, जिसमें मैंने आरोन फिंच के संन्यास लेने पर मन में आए एक सवाल पर बात की, और बताया कि आज जहां दुनियाभर में खिलाड़ियों का चयन प्रतिभा के साथ-साथ प्रदर्शन के आधार पर होता है, वहीं टीम इंडिया में खिलाड़ियों का चयन प्रदर्शन के आधार पर नहीं, बल्कि रेपुटेशन के आधार पर होता है। टी-20 विश्व कप के लिए चुनी गई टीम भी इसकी पुष्टि करती है। 

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हालांकि ये सच है कि मैं इस युवा खिलाड़ी को करियर की शुरुआत में ही टीम के पास अनुभवी स्पिनरों के उपलब्ध होने पर भी एशिया कप और वर्ल्ड कप जैसे बड़े मंच पर उतारने के खिलाफ था। लेकिन जब आपने इस युवा को चुन लिया और उसने बड़े मुकाबले में शानदार प्रदर्शन भी करके दिखा दिया। फिर भी टीम में 3 स्पिनर चुनने के बाद भी उसे मात्र स्टैंडबाई ही चुनते हैं, ये इस युवा के साथ सरासर अन्याय है। और तो और उन्हें आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में भी नजरअंदाज कर दिया गया है। वो बेचारा समझ नहीं पा रहा होगा कि उससे आखिर गलती क्या हुई? क्योंकि उसको अब तक जितने मौके मिले हैं उसने अच्छा प्रदर्शन ही करके दिखाया है।  इससे उस युवा के मनोबल पर खराब असर पड़ेगा।

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