आईसीसी ने पाकिस्तानी खिलाड़ी आसिफ अली और अफगानी खिलाड़ी फरीद अहमद के बीच हुई झड़प पर अपना फैसला सुना दिया है, आईसीसी ने दोनों ही खिलाड़ियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। बुधवार 7 सितंबर को एशिया कप के पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच, खेले गए महत्वपूर्ण मैच के दौरान ये घटना घटी थी। दोनों टीमों के लिए ये मैच जीतना जरूरी था, इसलिए दोनों टीमें अपना पूरा जोर लगा रही थीं, इसी दौरान ये वाकया पेश आया।
दरअसल हुआ यूं कि पाकिस्तान की पारी का 19वां ओवर चल रहा था, और गेंद थी अफगानिस्तान के तेज गेंदबाज फरीद अहमद मलिक के हाथ में, तभी इस ओवर की चौथी गेंद पर आसिफ ने छक्का लगा दिया, लेकिन पाँचवी गेंद पर फरीद ने वापसी करते हुए उन्हें आउट कर दिया और जोश में आसिफ के सामने जश्न मनाने लगे। इस पर आसिफ गुस्सा हो गए, और अपने आप पर काबू नहीं रख सके, और बल्ला लेकर फरीद को मारने का प्रयास किया।
क्या कहा है आईसीसी ने अपनी निर्णय में
आईसीसी ने अपने बयान में कहा है कि "पाकिस्तान के खिलाड़ी आसिफ अली ने आईसीसी आचार संहिता की धारा 2.6 का उल्लंघन किया है। और इस मामले में आसिफ अली पर दोष साबित भी हो गया था, उन्होंने स्वयं पर लगे आरोपों को स्वीकार भी कर लिया है।"
*(आईसीसी की धारा 2.6 किसी अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान अश्लील, आक्रामक या अपमानजनक प्रतिक्रिया से संबंधित है।)
आईसीसी ने कहा कि "अफगानिस्तान के खिलाड़ी फरीद अहमद को धारा 2.1.12 के उल्लंघन का दोषी पाया गया। फरीद अहमद ने भी अपनी गलती स्वीकार कर ली।"
*(आईसीसी की धारा खिलाड़ी, सहयोगी स्टाफ, अंपायर, मैच रैफरी या किसी भी व्यक्ति के साथ अनुचित शारीरिक संपर्क को लेकर है।)
आईसीसी ने आगे कहा कि "दोनों खिलाड़ियों ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है और उन्होंने मैच रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट द्वारा प्रस्तावित सजा को भी स्वीकार कर लिया। दोनों खिलाड़ियों को लेवल 1 का दोषी माना गया है, और दोनों ही खिलाड़ियों पर 25% मैच फीस का जुर्माना लगाया गया है। साथ-साथ दोनों खिलाड़ियों को 1-1 डीमेरिट प्वाइंट भी दिया गया है।"
आईसीसी का फैसला कितना सही?
आईसीसी के फैसले के बाद अब ये सवाल उठ रहे हैं कि आईसीसी का ये निर्णय कितना सही है? विशेषकर पाकिस्तानी खिलाड़ी आसिफ को सिर्फ 25% मैच फीस का जुर्माना लगाकर छोड़ देना क्या सही है? क्योंकि क्रिकेट एक जेंटलमैन है, उसकी अपनी एक गरिमा है। उसकी गरिमा को ठेस पहुँचाने वालों पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए थी, जिससे बाकी खिलाड़ियों को भी कड़ा संदेश जाता।
जश्न मनाना फरीद अहमद का हक था, लेकिन अच्छा होता कि वो थोड़ा संयम बरतते। वहीं आसिफ का रवैया तो बहुत ही शर्मनाक था। अपने गुस्से के लिए कुख्यात आसिफ अली ने इससे पहले भी कुछ अवसरों पर खेल का नाम बदनाम किया है। इससे पहले उन्होंने सीपीएल (CPL) के दौरान 2020 में कीमो पॉल पर भी बल्ला चलाया था।
इसी तरह पिछले टी-20 विश्व कप 2021 में उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में उन्होंने प्रतिद्वंदी टीम के खिलाफ जश्न मनाते हुए बैट को गन की तरह दिखाया था। इसलिए इस बार उन्हें मैच निलंबन जैसा कठोर दंड दिया जाना चाहिए था, जिससे अन्य खिलाड़ियों को भी कठोर सबक मिलता, और वो इस तरह की चीजों से बचने का प्रयास करते।