तारीख- 1 जुलाई, समय- 3 बजे, जगह- बर्मिघम, इंग्लैंड और भारत के बीच 5 मैचों की सीरीज का बचा आखिरी मुकाबला इसी दिन, इसी जगह, इसी समय पर खेला जाएगा. यूरोप के सबसे युवा शहर पर नजर पूरी दुनिया की होगी, वजह ऐतिहासिक है, पर एक और वजह जो इस टेस्ट मैच के लिए जरूरी है. WTC यही से तय होगा कि टीम इडिया फाइनल खेलेगी या नहीं, कैसे वो हम आगे बताएंगे.
WTC में क्या है भारत का हाल?
WTC रैकिंग में भारत तीसरे नंबर पर है और फाइनल में पहुंचने के लिए अभी भी चांस है, साल 2021-23 की टेस्ट चैम्पियनशिप में अब तक इंडिया ने कुल 11 मैच खेले है, जिसमे 6 जीत, 3 हार जबकि 2 ड्रॉ हुए, भारत के कुल 77 प्वाइंट्स है जबकि प्रतिशत 58.33 है.
भारत ने साल 2019-2021 की टेस्ट चैंपियनशिप का भी फाइनल खेला था और भारत के पास अभी भी 2021-23 की टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेलने का मौका बना हुआ है. अगर टीम इंडिया आने वाले मैचों में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो निश्चित ही वह एक बार फिर से WTC का फाइनल खेल सकती है.
फाइनल पहुंचने के लिए क्या करना होगा?
सबसे जरूरी सवाल यहा से अब हम फाइनल में कैसे पहुंचेंगे? पर उससे बड़ा सवाल कि अभी बचे कितने मुकाबले है? जवाब पहले मुकाबले का देते हैं. अभी WTC में भारत को 7 टेस्ट मुकाबले खेलने है. इनमे से एक बर्मिघम टेस्ट है, जबकि 4 टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घर पर है बाकी 2 टेस्ट मैच बांग्लादेश के खिलाफ बांग्लादेश में है.
अब जवाब हम फाइनल में कैसे पहुंचेंगे? तो सीधे में जवाब तो ये है कि सब जीत जाओ,अगर भारत सब जीत जाता है तो कोई दिक्कत ही नहीं, उसका प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा हो जाएगा, लेकिन अगर 7 में 6 जीतता है तो भारत के जीत का प्रतिशत 70 फिसदी के आसपास होगा, जो बाकी टीमों से कम है.
अगर भारत सिर्फ 6 मैच जीतता है, तो उसे अन्य टीमों के जीत-हार पर भी निर्भर रहना पड़ सकता है. ऐसे में भारतीय क्रिकेट फैंस चाहेंगे कि भारत अपने बचे हुए सभी मुकाबले जीते और फाइनल में अपनी जगह बना ले.
WTC की बाकी टीमें?
WTC प्वाइंट्स में टॉप-2 पर ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका है. ऑस्ट्रेलिया के 8 मैचों में 5 जीत के साथ 72 प्वाइंट्स और प्रतिशत 75 है, वहीं अफ्रीका के 7 मैचों में 5 जीत के साथ 60 प्वाइंट्स और 71.43 प्रतिशत है. अब अगर हम यहा देखें तो प्वाइंट्स तो इंडिया के दोनों से ज्यादा है, लेकिन जो नियम है वो ये है कि जो टीम प्रतिशत में आगे रहती है वो फाइनल खेलती है, यहां हम पिछड़ रहे हैं.