आरपी सिंह ने पुराने दिनों की यादों को ताजा किया, जब उनके शानदार प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया टी20 चैंपियन बनी थी। 2007 के विश्व कप फाइनल को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उस दिन धोनी से कैलकुलेशन मिस्टेक हो गई थी। पाकिस्तान के खिलाफ हुए उस फाइनल मैच में इस वजह से वो हरभजन का कोटा पूरा नहीं करा पाए थे। आरपी ने बातें दक्षिण अफ्रीका में चल रही टी20 लीग में कमेंट्री करते हुए कहीं। उन्होंने इस घटना के बारे में विस्तार से बताया।
ये भी पढ़ें: Border Gavaskar Trophy: 5 ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जो बन सकते हैं टीम इंडिया के लिए बड़ा सिरदर्द
कैलकुलेशन में हुई थी गलती
आरपी सिंह ने बताया कि "धोनी हमेशा मानते थे कि 20वां ओवर उतना महत्वपूर्ण नहीं होता है, जितना की 17वें, 18वें और 19वें ओवर। हरभजन आमतौर पर 17वां ओवर फेंकते थे और अक्सर हमें सफलता दिलाते थे। लेकिन मिस्बाह उस दिन कुछ अलग अंदाज में थे। मिस्बाह उस दिन वास्तव में अच्छा खेल रहे थे, इसलिए धोनी से कैलकुलेशन में एक गलती हुई, जिसके कारण हरभजन अपने ओवर पूरे नहीं कर सके।"
आगे आरपी ने कहा कि "मुझे 19वां ओवर फेंकना था, श्रीसंत को मुझसे पहले गेंदबाजी करनी थी। इसलिए 20वें ओवर में हमारे पास दो विकल्प थे, या तो हरभजन के साथ जाएं या फिर जोगिंदर शर्मा के साथ। मिस्बाह अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे और अगर यह बाएं हाथ का बल्लेबाज होता, तो हरभजन फाइनल ओवर में गेंदबाजी करते। चूंकि मिस्बाह दाएं हाथ का बल्लेबाज थे, इसलिए गेंद जोगिंदर को दी गई।"
ये भी पढ़ें: Border Gavaskar Trophy से पहले टीम इंडिया से जुड़े 4 स्पिनर, वॉशिंगटन सुंदर की भी हुई एंट्री
आखिरी ओवर का रोमांच
2007 के टी20 विश्व कप फाइनल में आखिरी ओवर का भी अपना एक अलग रोमांच था। दरअसल एक समय 158 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की पारी लड़खड़ा गई थी। 77 रन पर अफरीदी के रूप में जब पाकिस्तान का छठा विकेट गिरा तो लगने लगा था कि भारतीय गेंदबाज पाकिस्तान की पारी को आसानी से समेत कर टीम को चैम्पियन बना देंगे। लेकिन फिर मिस्बाह उल हक क्रीज पर जम गए। उन्होंने पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ मिलकर पाकिस्तान को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया। अंतिम ओवर जीत के लिए पाक को मात्र 12 रन ही चाहिए थे, समस्या बस यही थी कि उनके पास विकेट 1 ही था।
उधर समस्या भारत के साथ भी थी, क्योंकि स्ट्राइक थी जमे हुए बल्लेबाज मिस्बाह उल हक के पास। गेंदबाजी में विकल्प सीमित थे, क्योंकि पाकिस्तान की पारी को समेटने के प्रयास में आरपी, श्रीसंत और इरफान पठान अपना कोटा खत्म कर चुके थे। जो गेंदबाज थे उनमें सबसे बड़ा विकल्प हरभजन सिंह थे, लेकिन भज्जी लास्ट ओवर डालने के लिए कॉन्फिडेंट नहीं थे। जोगिंदर शर्मा के आस अनुभव की कमी थी। अन्य विकल्प में यूसुफ पठान के साथ भी अनुभव की ही समस्या थी।
बाकी विकल्पों में से युवराज सिंह और रोहित शर्मा का प्रयोग उस दिन किया नहीं गया था। इसलिए एकदम से इतना महत्वपूर्ण ओवर देना सही नहीं था। आखिरकार भज्जी के हाथ खड़े करने के बाद जोगिंदर पर कप्तान धोनी ने दांव लगाया। पहली गेंद पर उन्होंने कोई रन नहीं दिया। लेकिन अगली गेंद पर मिस्बाह ने भारतीय टीम की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया। अब 4 गेंदों पर 6 रन चाहिए थे। मिस्बाह ने स्कूप शॉट से चौका लगाने का निर्णय लिया, लेकिन वो सीधे श्रीसंत के हाथों में मार बैठे। उनके साथ-साथ पाकिस्तान की चैम्पियन बनने की उम्मीदें भी आउट हो गई और टीम इंडिया पहली टी-20 विश्व विजेता बन गई।