पूर्व हेड कोच ने किया खुलासा, सचिन तेंदुलकर ने बना लिया था संन्यास का मन; तभी धोनी ने...

टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच गैरी कर्स्‍टन ने महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। कस्टर्न ने बताया कि जब वह टीम इंडिया के मुख्य कोच बने तो तेंदुलकर बेहद नाखुश थे।

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By Rajat Gupta
पूर्व हेड कोच ने किया खुलासा, सचिन तेंदुलकर ने बना लिया था संन्यास का मन; तभी धोनी ने...
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MS Dhoni, Sachin Tendulkar, Gary Kirsten: टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच गैरी कर्स्‍टन ने महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। कस्टर्न ने बताया कि जब वह टीम इंडिया के मुख्य कोच बने तो तेंदुलकर बेहद नाखुश थे। उन्होंने संन्यास का मन बना लिया था। एडम कोलिंस के यूट्यूब शो द फाइनल वर्ड क्रिकेट पोडकास्‍ट में पूर्व भारतीय कोच ने कहा कि जब दिसंबर 2007 में उनकी नियुक्ति भारतीय हेड कोच के रूप में हुई, तब उन्‍हें टीम में काफी नाखुशी और भय का माहौल लगा। 

सचिन संन्यास का सोच रहे थे

कर्स्‍टन ने बताया कि तेंदुलकर बेहद नाखुश थे और रिटायरमेंट का मन बना रहे थे। वेस्‍टइंडीज में हुए 2007 विश्वेप में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सचिन के संन्यास की कहानी सभी को पता है। पूर्व कोच ने बताया कि 2007 में शानदार प्रदर्शन के बाद भी भारतीय दिग्गज संन्यास का विचार कर रह थे। जब मुझे इस बारे में पता चला तो मैं काफी हैरान था। कर्स्टन ने कहा "उस समय टीम को धोनी जैसी कप्‍तानी की जरुरत थी, ताकि प्रतिभाशाली टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनाया जा सके। जब मैंने हेड कोच की जिम्‍मेदारी संभाली, तब टीम में काफी खौफ था। प्लेयर नाखुश थे, ऐसे में मेरे लिए जरूरी था कि उनको समझूं और जान सकूं कि वो टीम में खुद को कहां फिट मानते हैं व खेलने के लिए उनकी खुशी का जरिया क्‍या है।"

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क्रिकेट इंजॉय नहीं कर रहे थे

कर्स्‍टन ने कहा, "सचिन मेरे लिए सबसे अलग थे क्‍योंकि जब मैं टीम से जुड़ा तो वह काफी नाखुश थे। उन्‍हें लगता था कि वह टीम को काफी कुछ दे सकते हैं, लेकिन वह अपना क्रिकेट इंजॉय नहीं कर रहे थे। वह करियर के ऐसे स्टेज पर थे, जब संन्‍यास लेने का मन बना रहे थे। मेरे लिए जरूरी था कि उनसे कनेक्ट होकर उन्‍हें फील कराऊं कि टीम में उनका योगदान बड़ा है और वो जो करना चाहते हैं, उससे ज्‍यादा उनके योगदान की जरुरत है।"

धोनी जीतना चाहते थे

कर्स्‍टन ने कहा, "कोई भी कोच चाहता है कि खिलाड़ी टीम के लिए खेले ना कि अपने लिए। भारत एक कठिन जगह है जहां व्यक्तिगत सुपरस्टार के बारे में बहुत अधिक प्रचार है और आप अक्सर किस चीज में खो जाते हैं। आपकी अपनी व्यक्तिगत ज़रूरतें हैं। धोनी इस बीच एक कप्तान के रूप में असाधारण थे क्योंकि उनका ध्यान टीम के अच्छा प्रदर्शन करने पर था, वह ट्रॉफिया जीतना चाहते थे और बड़ी सफलता हासिल करना चाहते थे। वह इसके बारे में बहुत सार्वजनिक थे। इसने बहुत से अन्य लोगों को ट्रैक पर ला दिया। सचिन ने भी क्रिकेट का आनंद लेना शुरू कर दिया।" 

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