शिखर-शुभमन की शानदार बल्लेबाजी, सिराज-शार्दुल की गेंदबाजी और संजू की सुपरमैन डाइव, आखिरी गेंद में मिली जीत के कितने नायक? 

आप मुझसे पूछेंगे कि वेस्टइंडीज पर भारत की जीत का नायक कौन रहा, तो मैं कहूंगा 97 रनों की कप्तानी पारी खेलने वाले शिखर धवन, और इसे साबित करने के लिए मैन ऑफ द मैच

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By Rohit Juglan
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शिखर-शुभमन की शानदार बल्लेबाजी, सिराज-शार्दुल की गेंदबाजी और संजू की सुपरमैन डाइव, आखिरी गेंद में मिली जीत के कितने नायक? 

आप मुझसे पूछेंगे कि वेस्टइंडीज पर भारत की जीत का नायक कौन रहा, तो मैं कहूंगा 97 रनों की कप्तानी पारी खेलने वाले शिखर धवन, और इसे साबित करने के लिए मैन ऑफ द मैच के अवॉर्ड का हवाला भी दे दूंगा, ये तो हुआ इस सवाल का बहुत ही सीधा और एक लिहाज से सही जवाब.

लेकिन आखिरी गेंद तक जाने वाले मुकाबलों में सीधा जवाब देकर आप एक नाम में जीत की कहानी समेट रहे हैं, ये सवाल का सही जवाब तो होगा लेकिन क्या ये पूरा जवाब है ? बिल्कुल नहीं, हर जीत में कई किरदार होते हैं औऱ आखिरी गेंद तक गए मुकाबलों की तो बात ही कुछ और होती है। यहां तो एक-एक गेंद पर प्रदर्शन के बल पर नायक और खलनायक तय होते हैं, इतिहास ऐसे मुकाबलों से भरा पड़ा है और इसलिए जिस खिलाड़ी ने सिर्फ एक गेंद के आधार पर खुद को इस मैच के नायकों की सूची में दर्ज करा लिया वो नाम संजू सैमसन का है.

संजू ने सुपरमैन डाइव लगाकर बचाए 4 रन  

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सिराज को मैच का आखिरी ओवर डालना था वेस्टइंडीज को चाहिए थे 15 रन रोमेरिया शेफर्ड और अकील हुसैन दोनों क्रीज पर सेट थे, भारत में रात का आखिरी पहर शुरू हो चुका था लेकिन फैंस की नजरें पोर्ट ऑफ स्पेन के मैदान क्वींस पार्क ओवल पर गढ़ी थीं, इस ओवर की पहली 4 गेंद में सिर्फ 7 रन आए थे यानी आखिरी दो गेंदों पर 8 रन चाहिए थे जहां एक बाउंड्री वेस्टइंडीज के लिए काम आसान कर देती, लेकिन जरा सोचिए अगर बाई के 4 रन और उसमें एक वाइड का रन भी जुड़ता तो चुनौती विंडीज टीम के लिए कितनी आसान हो जाती 2 गेंदों में जहां 8 रन चाहिए थे वहां चाहिए होते महज 3 रन,

अब वाइड गेंद का खामियाजा तो भारत ने सिराज के साथ-साथ भुगता ही लेकिन संजू ने डाउन द लेग साइड जो फुल स्ट्रेच डाइव लगाई उसकी तो बात ही निराली थी, एक वक्त के लिए लगा कि ये तो मेराडोना के हैंड ऑफ गॉड जैसे कुछ था लेकिन फिर दूसरे ही पल समझ आया कि मैं दबंग के गेंदा भइया की तरह ज्यादा ही बोल गया हूं तो हैंड ऑफ गॉड से तुलना न कर बस इसे ऐसे ही याद रख लिया जाए, संजू की डाइव इसलिए भी खास थी क्योंकि उस गेंद को मारने के लिए शेफर्ड ने मूवमेंट की थी और उसी मेवमेंट की वजह से संजू के लिए गेंद को एक वक्त पर देख पाना लगभग नामुमकिन ही रहा होगा, लेकिन फिर भी उस एक सेव ने भारत को मैच में बनाए रखा और आखिरकार 3 रन से भारत को जिता भी दिया 

शिखर-शुभमन और श्रेयस के अर्धशतक 

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टॉप 3 - बीते एक दशक में भारतीय क्रिकेट को लेकर जब-जब ये कहा गया तो जहन में रोहित-शिखर और विराट की तस्वीर आती है और इनको याद करने का मतलब रहता था रनों के अंबार को याद करना बड़े-बड़े और लगातार शतकों को याद करना, जीत को याद करना लेकिन बीते कुछ समय में ये सारी बातें झूठी से लगने लगीं हैं और इसलिए वेस्टइंडीज के खिलाफ ऊपर से तीनों के पचास आए और भारत जीता तो लगा कि कोई नॉस्टेल्जिया में ले जा रहा हो, हां ये बात और है कि नॉस्टेल्जिया इससे भी हसीन था.

खैर जो बीत गई वो बात गई लेकिन वेस्टइंडीज के टॉस जीतकर गेंदबाजी लेने के बाद ये देखना था कि भारतीय सलामी जोड़ी कैसे रन बनाती है, क्योंकि शिखर इंग्लैंड में कुछ खास कर नहीं पाए थे और गिल की वापसी को देखने के लिए आंखें तरस गई थीं, ऐसे में इन दोनों ने जो तेज और खूबसूरत शुरूआत दी हर शॉट पहले से बेहतर नजर आ रहा था और दोनों का आत्मविश्वास देखने लायक था, हांलाकि जिस लापरवाही के साथ गिल रनआउट हुए वो दिल तोड़ने वाला ही था.

इसके बाद अय्यर आए, इस मैच में जडेजा के ना होने से उन्हें उपकप्तानी मिली थी और ऐसे में जिम्मेदारी बड़ी थी, फॉर्म पर उनकी भी सवाल थे, वो आए क्रीज पर वक्त बिताया उनके खिलाफ छोटी गेंदों का भी सील्स ने अच्छा प्रयोग किया लेकिन अय्यर ने उन्हें रक्षात्मक रूप से भी खेला और आक्रामक हो कर एक चौका भी लगाया

इसके बाद उनके सामने स्पिनर्स को भेजने का मतलब क्या होना था ये किसी से छिपा नहीं था, और हुआ भी वही इसके बाद अय्यर ने भी तेजी से रन बनाए लेकिन अर्धशतक के बाद वो भी आउट हो गए, लेकिन गिल और अय्यर के आउट होने का उतना मलाल नहीं हुआ जितना शिखर का आउट होना चुभा, बीते तीन साल में ये तीसरी बार था जब वो नर्वस 90's का शिकार हुए थे. 2020 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 96 रन , 2021 में इंग्लैंड  के खिलाफ 98 रन और अब इस मुकाबले में 97 रन ये वो आंकड़ें हैं जो दहाई से सैकड़े में तब्दील होते तो शिखर के नाम के आगे इतने सवाल इंग्लैंड के प्रदर्शन के बाद शायद ही होते.

सिराज-शार्दुल और यू़ज़ी ने किया आखिरी वार 

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वेस्टइंडीज की पारी की जब शुरूआत हो रही थी तो डर मेयर्स से नहीं होप से ज्यादा डर था, क्योंकि इस साल बल्लेबाजी में उनसे बेहतर विश्वास कितने ही खिलाड़ी देंगे इस टीम में बतौर ओपनर वो दो शतक मार चुके हैं और इस मैच से पहले उनके 33.71 की औसत से 472 रन थे, लेकिन सिराज ने होप को अच्छा सेटअप किया और 7 रन के व्यक्तिगत स्कोर पर चलता कर दिया.

इसके बाद दूसरे विकेट के लिए 117 रन की साझेदारी को लॉर्ड ठाकुर ने तोड़ा, 6 गेंदों के अंदर पहले ब्रूक्स और फिर मेयर्स को चलता किया और वेस्टइंडीज को मैच में फिर पीछे धकेल दिया, लेकिन गिरकर फिर खड़ा होना कब मना है, तो अबकी बार कोशिश की किंग और पूरन ने साझेदारी आगे बढ़ ही रही थी कि पूरन को सिराज ले गए कप्तान धवन का एक और दांव चल निकला.

अब बारी थी किंग की जो अर्धशतक लगा रहे थे और जिनके इरादे साफ थे, मैच खत्म करना है, किंग और हुसैन की बीच साझेदारी भी पचास का आंकड़ा पार कर चुकी थी, लेकिन फिर चतुर चहल ने किंग को चलता कर दिया इससे पहले चहल खतरनाक बल्लेबाज पावेल को सस्ते में पवेलियन भेज चुके थे, लेकिन बात यहीं थोड़ी खत्म हुई इसके बाद नाबाद 50 रनों से ज्यादा की साझेदारी शेफर्ड और हुसैन के बीच हुई और यही साझेदारी विंडीज टीम को मैच के आखिरी ओवर तक ले गई जहां सिराज ने जोश में होश नहीं खोया और जहां खोया वहां सुपरमैन संजू संकटमोचक बनकर कूद पड़े और भारत पहला वनडे जीत गया. 

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