आखिर भारतीय क्रिकेट के लिए क्यों यादगार है 14 सितंबर की तारीख

भारत- पाकिस्तान के मैच हमेशा उत्सुकता का विषय रहे हैं। इनकी याद लोगों के जहन में लंबे समय तक रहती है। ऐसी ही कुछ यादें जुड़ी हैं 14 सितंबर की तारीख के साथ। ये दिन इसलिए खास है, क्योंकि इसी दिन पहले टी-20 विश्व कप

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By puneet sharma
आखिर भारतीय क्रिकेट के लिए क्यों यादगार है 14 सितंबर की तारीख
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भारत- पाकिस्तान के मैच हमेशा उत्सुकता का विषय रहे हैं। इनकी याद लोगों के जहन में लंबे समय तक रहती है। ऐसी ही कुछ यादें जुड़ी हैं 14 सितंबर की तारीख के साथ। ये दिन इसलिए खास है, क्योंकि इसी दिन पहले टी-20 विश्व कप में पहली बार भिड़ रहे भारत-पाकिस्तान के बीच खेला गया मैच, रोमांच के रोमांच के चरम पर पहुँच गया। दोनों टीमों के बीच खेला गया ये मैच टाई रहा था। 

फिर इस मैच का फैसला बॉल आउट से हुआ था। बॉल आउट में भारत ने पाकिस्तान को 3-0 से हरा दिया। अब जब रॉबिन उथप्पा ने खेल को अलविदा कहने के लिए इस दिन को चुनकर इसे और भी यादगार बना दिया है। इस मैच की जीत ने भारत को फाइनल में पहुँचने और फिर चैम्पियन बनने में मदद की। रॉबिन उथप्पा का इसमें बड़ा योगदान था।  

क्यों था ये टी-20 विश्व कप भारत के लिए खास 

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वेस्टइंडीज में खेला गया 2007 का वनडे विश्व कप भारतीय टीम के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। इस विश्व कप में भारतीय टीम कप्तान राहुल द्रविड, उपकप्तान सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, युवराज सिंह, जहीर खान, अनिल कुंबले, हरभजन, अजित अगरकर जैसे अनुभवी और दिग्गज खिलाड़ियों के होने के बावजूद भी पहले राउंड में ही हारकर प्रतियोगिता से बाहर हो गई थी। खिलाड़ियों के साथ-साथ खेल प्रेमियों में भी भयंकर निराशा छा गई, देश में क्रिकेट थम सा गया।  

लेकिन दिक्कत ये थी कि इसी साल पहली बार टी-20 विश्व कप भी हो रहा था, इसलिए टीम में फिर जोश भरना जरूरी था। जब बारी आई टी-20 विश्व कप के लिए टीम के चयन की, तो राहुल द्रविड, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले, जहीर खान जैसे बड़े नामों ने टीम में शामिल होने से मना कर दिया। इसलिए टीम के लिए नए कप्तान और नए खिलाड़ी चुनना आवश्यक हो गया। 

विश्व कप खेलने वाले कुछ खिलाड़ियों ने टी-20 विश्व कप के लिए भी टीम का हिस्सा बनने का फैसला किया उनमें से एक नाम था युवा रॉबिन उथप्पा का। उन्होंने सोच रखा था कि जो वनडे में नहीं हुआ वो टी-20 में करके दिखाना है। टीम को खिताब जिताना उनका सपना था। खैर नए कप्तान धोनी के नेतृत्व में नई टीम टी-20 विश्व कप खेलने गई, लोगों ने टीम से कोई आशाएं नहीं लगाई गईं थी। 

लेकिन रॉबिन उथप्पा जैसे युवा खिलाड़ियों को खुद पर विश्वास था। उन्हें ये वनडे विश्व कप की हार के मलाल को दूर करने का मौका भी लगा और उन्होंने अच्छा प्रदर्शन भी किया। इससे उथप्पा के खुद पर दृढ़ विश्वास और अडिग संकल्प का पता चलता है।

क्या हुआ था इस मैच में 

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भारत-पाकिस्तान के बीच हुए हाई प्रेशर मैच में रॉबिन उथप्पा ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए अर्धशतक लगाया। एक छोर से विकेट गिर रहे थे, दूसरे छोर से वो रन बनाते रहे। तेजी से रन बनाने के प्रयास में वो 50 रन पर आउट हो गए, निर्धारित 20 ओवरों की समाप्ति पर भारत 9 विकेट पर 141 रन बना सका। जबाब में पाकिस्तान जीत की कगार पर खड़ा था कि अंतिम गेंद पर रॉबिन उथप्पा ने जमकर खेल रहे मिसबाह को रन आउट कर के मैच को टाई करवा दिया।  

फिर बारी आई बॉल आउट की, इसमें पहले प्रयास में पाकिस्तान के यासिर अराफ़ात चूक गए, जबकि सहवाग सफल रहे। फिर दूसरे प्रयास में पाकिस्तान के उमर गुल भी चूक गए, जबकि हरभजन सफल रहे। फिर भारत ने इस दबाब वाली स्थिति में किसी गेंदबाज को न चुनकर चुना अपने बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा को, उथप्पा ने भी टीम को निराश नहीं किया, उन्होंने भी बॉल सही निशाने पर लगाते हुए स्टंप उड़ा दिया और अलग अंदाज से सेलिब्रेट किया। 

फिर सारा दारोमदार आ गया पाकिस्तान पर। उसके खिलाड़ी शाहिद अफरीदी दबाब में आ गए, उनका निशाना स्टंप के कोसों दूर रहा, और भारत ने इस बॉल आउट को जीत लिया। उथप्पा ने पहले अपने बल्ले, फिर अपनी फील्डिंग और फिर बॉल स्टंप पर डालकर टीम को एक महत्वपूर्ण और यादगार जीत दिला दी। और खेल प्रेमियों के जहन में ये तारीख अमर हो गई। 

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