मां घरों में सफाई तो पिता फैक्ट्री में करते थे काम, बचपन में गंभीर बीमारी का शिकार रहे मेसी के लिए आसान नहीं था यह सफर

अर्जेंटीना ने फ्रांस को हराकर 18 दिसंबर को खेले गए फीफा विश्व कप के फाइनल मुकाबले को जीत विश्व कप खिताब अपने नाम कर लिया। दोनों टीमों ने शानदार खेल दिखाया, लेकिन आखिरकार पेनल्टी शूट आउट में अर्जेंटीना ने फ्रांस को हराकर खिताब जीत लिया। दोनों टीमें निर्धारित समय में 2-2 से बराबरी पर रहीं। फिर अतिरिक्त समय में दोनों टीमों ने 1-1 गोल और किया जिससे स्कोर 3-3 हो गया। इसके बाद हुए पेनल्टी शूट आउट में अर्जेंटीना ने फ्रांस को 4-2 से मात दी। 

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By puneet sharma
मां घरों में सफाई तो पिता फैक्ट्री में करते थे काम, बचपन में गंभीर बीमारी का शिकार रहे मेसी के लिए आसान नहीं था यह सफर
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अर्जेंटीना ने फ्रांस को हराकर 18 दिसंबर को खेले गए फीफा विश्व कप के फाइनल मुकाबले को जीत विश्व कप खिताब अपने नाम कर लिया। दोनों टीमों ने शानदार खेल दिखाया, लेकिन आखिरकार पेनल्टी शूट आउट में अर्जेंटीना ने फ्रांस को हराकर खिताब जीत लिया। दोनों टीमें निर्धारित समय में 2-2 से बराबरी पर रहीं। फिर अतिरिक्त समय में दोनों टीमों ने 1-1 गोल और किया जिससे स्कोर 3-3 हो गया। इसके बाद हुए पेनल्टी शूट आउट में अर्जेंटीना ने फ्रांस को 4-2 से मात दी। 

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इस खिताबी जीत के साथ अर्जेंटीना ने अपने खिताब के 36 साल के सूखे को समाप्त कर दिया। अर्जेंटीना ने आखिरी बार 1986 में मेराडोना की अगुवाई में विश्व कप खिताब जीता था। इससे पहले अर्जेंटीना ने 1978 में पहली बार खिताब अपने नाम किया था। उसके बाद 1990 में और 2014 में टीम ने फाइनल में जगह जरूर बनाई, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। और महज रनर अप बनकर ही संतोष करना पड़ा। 

दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना को 1986 के बाद से खिताब की दावेदार माने जाने के बावजूद हर बार निराशा ही हाथ लगी। अर्जेंटीना के कप्तान और स्टार खिलाड़ी लियोनल मेस्सी पिछले 4 बार से टीम को चैंपियन बनाने के प्रयास में लगे थे, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लग रही थी। लेकिन अपने 5वें और अंतिम प्रयास में इस स्टार खिलाड़ी ने अपने चाहने वालों को निराश नहीं किया। और आखिरकार सचिन तेंदुलकर की तरह अपने आखिरी विश्व कप में विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल करते हुए टीम को चैंपियन बना ही दिया। 

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सिर्फ एक अच्छे खिलाड़ी ही नहीं बल्कि अच्छे इंसान भी हैं मेसी 

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अर्जेंटीना टीम के कप्तान और स्टार खिलाड़ी मेसी अच्छे फुटबॉलर तो हैं ही, साथ ही एक अच्छे इंसान भी हैं। मेसी हमेशा दुनिया भर में चैरिटी के कामों में  बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। बचपन में गंभीर बीमारी से जूझने वाले मेसी ने 2007 में लियो मेसी फाउंडेशन की स्थापना की। मेसी की हमेशा कोशिश यही होती है कि किसी और बच्चे को उन हालातों से न गुजरना पड़े, जिनसे उन्हें बचपन में गुजरना पड़ा था। वो असहाय और विकलांग बच्चों के शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी कार्य करते हैं। 

2004 से वो यूनिसेफ को समय देने के साथ-साथ आर्थिक सहयोग भी दे रहे हैं। वो 2010 से यूनिसेफ के गुडविल एंबेसडर भी हैं। वो एड्स जागरूकता अभियान से भी जुड़े हुए हैं। हैती जब भूकंप आया था तो मेसी ने भूकंप पीड़ितों की सहायता कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। इसके अलावा बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने की दिशा में भी वो कई कार्य कर रहे हैं। मेसी अपने चाहने वालों को निराश नहीं करते।   

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कठिनाइयों से गुजरा है मेसी का बचपन 

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फुटबॉल के इस सुपर स्टार का बचपन बड़ा ही कठिनाइयों से भरा हुआ था। मेसी की माताजी घरों में सफाई का काम करती थीं। जबकि उनके पिताजी एक फेक्टरी में काम किया करते थे। इसके अलावा वो एक फुटबॉल क्लब के कोच भी थे। इसलिए मेसी को बचपन से ही फुटबॉल का शौक लग गया। मेसी ने मात्र 4 साल की उम्र में ही खेलना शुरू कर दिया। उन्होंने नेविल्स ओल्ड बॉय नाम के क्लब के लिए खेलना शुरू किया। 

मेसी बचपन में ही गम्भीर रूप से बीमार हो गए थे। उन्हें एक ऐसी बीमारी हुई थी, जिस में शरीर का विकास रुक जाता है। और व्यक्ति की फिजिकल ग्रोथ नहीं होती, और वो बौना ही रह जाता है। इस बीमारी के इलाज के लिए बेहद महंगे और लम्बे चलने वाले ग्रोथ हार्मोन ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ी थी। जो उनके और उनके परिवार के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था। शुरुआत में उनके क्लब नेविल्स ओल्ड बॉय ने उनके इलाज का खर्च उठाया, लेकिन बाद में हाथ पीछे खींच लिए। कोई रास्ता नहीं निकलने पर उन्होंने प्रसिद्ध क्लब बार्सिलोना से संपर्क किया।

बार्सिलोना ने उनके टेलेंट को पहचान लिया, और उन्हें अपनी जूनियर टीम का हिस्सा बना लिया। साथ ही मेसी की इस बीमारी से छुटकारा पाने में सहायता की। इसके बाद मेसी के टेलेंट को देखते हुए स्पेन ने उन्हें अपनी जूनियर टीम के लिए चुना था, लेकिन मेसी ने स्पेन के लिए खेलने से साफ इंकार कर दिया। मेसी ने अपना देश प्रेम दिखते हुए कहा कि "मैं सिर्फ अपने देश अर्जेंटीना के लिए ही खेलूंगा, किसी और देश के लिए नहीं।" 

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