फुटबॉल के महाकुंभ कहे जाने वाले फीफा विश्व कप 2022 की 20 नवंबर को शुरुआत हो रही है। इस बार इसका आयोजन कतर में किया जा रहा है। अगर इस बार के विश्व कप के प्रबल दावेदारों की बात करें तो इसमें डिफेंडिंग चैम्पियन फ्रांस के अलावा ब्राजील, जर्मनी, अर्जेंटीना, नीदरलैंड्स, इंग्लैंड और स्पेन की टीमें शामिल हैं। इसके अलावा क्रोएशिया, ऊरग्वे, पुर्तगाल, डेनमार्क और बेल्जियम की टीमें भी अपने प्रदर्शन से किसी को भी चौंका सकती हैं।
पिछले दो दशकों से विश्व कप ट्रॉफी पर यूरोप का ही कब्जा रहा है, कभी विश्व फुटबॉल जगत में राज करने वाली दक्षिण अमेरिकी टीमें 2002 के बाद से चैम्पियन नहीं बन पाई हैं। 2002 में ब्राजील ने जर्मनी को हराकर ये खिताब जीता था। तब से अब तक कोई भी दक्षिण अमेरिकी टीम खिताब नहीं जीत पाई है। 2014 में अर्जेंटीना की टीम फाइनल में जगह बनाने में कामयाब जरूर रही, लेकिन उसे जर्मनी के हाथों हारकर उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा था।
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दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप का फुटबॉल जगत में था कभी वर्चस्व
ब्राजील, अर्जेंटीना, ऊरग्वे जैसी विश्व चैम्पियन टीमों के अलावा पैराग्वे, कोलम्बिया, चिली, यूएसए, पेरू, मैक्सिको और बोलीविया की टीमें भी इस महाद्वीप की प्रमुख फुटबॉल टीमें हैं। अगर विश्व चैम्पियन बनने की बात करें तो ब्राजील ने विश्व कप खिताब 5 बार अपने नाम किया है। जबकि अर्जेंटीना की टीम 2 बार चैम्पियन रह चुकी है। वहीं उरुग्वे ने भी 2 बार ये खिताब जीता है। ब्राजील और अर्जेंटीना की टीमें विश्व कप में भाग लेने वाली उन टीमों में से हैं, जिनके प्रदर्शन में निरंतरता नजर आती है।
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इस महाद्वीप ने दुनिया को एक से बढ़कर एक महान खिलाड़ी दिए हैं, जिसकी पूरी लंबी लिस्ट है। अभी भी नेमार और मेस्सी जैसे दुनिया के बड़े नाम इसी महाद्वीप से आते हैं। हर बार ब्राजील और अर्जेंटीना की टीमें बड़ी दावेदार के रूप में आती जरूर हैं, लेकिन टूर्नामेंट खत्म होते-होते हर बार अपने समर्थकों को निराश कर जाती हैं। इस बार एक बार फिर से इनके फैंस इनसे खिताब के सूखे को खत्म कर, फिर से कप महाद्वीप में लाने की उम्मीदें कर रहे हैं। ये तो वक्त ही बताएगा कि इस महाद्वीप की टीमें इस बार यूरोप के वर्चस्व को तोड़ कर खिताब दक्षिण अमेरिका में ला पाती हैं कि नहीं?