पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच अंशुमान गायकवाड़ का बुधवार रात 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने गायकवाड़ के इलाज के लिए 1 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की थी।
इसके अलावा, 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य भी गायकवाड़ की सहायता के लिए आगे आए थे। जून 2024 में, गायकवाड़ ने लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल में ब्लड कैंसर का इलाज कराया और फिर भारत लौट आए थे। उनके निधन के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें 'गिफ्टेड प्लेयर' करार दिया।
Anshuman Gaekwad का करियर
अंशुमान गायकवाड़ ने अपने करियर में 40 टेस्ट मैच खेले और 30 की औसत से 1985 रन बनाए, जिसमें 2 शतक और 10 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने 15 वनडे में 289 रन भी बनाए। 1997 में उन्होंने भारतीय टीम के कोच का पद संभाला और दो साल तक कोच के रूप में काम किया, फिर 1999 में इस्तीफा दे दिया।
पाकिस्तान के खिलाफ शानदार बल्लेबाज़ी
गायकवाड़ की 1983 में पाकिस्तान के खिलाफ जालंधर टेस्ट में खेली गई मैराथन पारी को भी याद किया जाएगा, जिसमें उन्होंने 201 रन बनाए। इस पारी के दौरान उन्होंने 671 मिनट तक बल्लेबाजी की, यानी 11 घंटे से अधिक समय तक मैदान पर रहे। उनकी इस पारी के प्रभाव से पाकिस्तान को ड्रॉ पर मजबूर होना पड़ा था, और उस समय उनका दोहरा शतक फर्स्ट क्लास क्रिकेट का सबसे धीमा था।
वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला था भयंकर मैच
वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने शॉर्ट गेंदों से काम न बनता देख, भारतीय बल्लेबाजों को शरीर पर निशाना बनाना शुरू कर दिया, जिससे गुंडप्पा विश्वनाथ घायल होकर अस्पताल पहुंचे। बावजूद इसके, गायकवाड़ ने अपने इरादे नहीं बदले और खेल जारी रखा, हालांकि एक गेंद उनकी कनपट्टी पर लगी और उनके कान का पर्दा फट गया, जिसके लिए ऑपरेशन करना पड़ा। उस टेस्ट की दूसरी पारी में भारतीय टीम की स्थिति इतनी खराब हो गई कि तीन महत्वपूर्ण खिलाड़ी — गुंडप्पा विश्वनाथ, अंशुमान गायकवाड़ और ब्रजेश पटेल — उपलब्ध नहीं थे। इसके कारण, कप्तान बिशन सिंह बेदी को पारी घोषित करनी पड़ी और भारत को मैच गंवाना पड़ा।
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