भारतीय टीम 2011 के बाद से कोई विश्व कप नहीं जीत सकी है, तब भारत ने धोनी की कप्तानी में वनडे विश्व कप जीता था। इससे पहले भारत ने धोनी की ही अगुवाई में ही 2007 में टी20 विश्व कप जीता था। ये 1983 में कपिल देव की कप्तानी में जीते गए पहले विश्व कप के बाद ये भारत का दूसरा विश्व कप था। अपने कौशल से दो विश्व कप जीता कर धोनी भारतीय क्रिकेट से सबसे चहेते कप्तानों में शामिल हो गए।
धोनी ने न सिर्फ इन विश्व कप, बल्कि कुल मिलाकर अपनी कप्तानी का ऐसा जौहर दिखाया, कि सारी दुनिया ने उनके कौशल का लोहा मान लिया। उनको टीम इंडिया की कप्तानी छोड़े हुए सालों हो गए हैं, लेकिन लोग उनकी चतुराई भरी कप्तानी को भूले नहीं हैं। समय-समय पर उनकी कप्तानी का जिक्र हो ही जाता है। लेकिन माही को टीम इंडिया की कमान यूं ही नहीं मिली, धोनी की कप्तान बनने की भी एक अनूठी कहानी है।
जिस दिलचस्प किस्से का जानकार जिक्र करते रहते हैं। हमारे यूट्यूब चैनल स्पोर्ट्स यारी पर भी हमारे एक्सपर्ट ने चर्चा के दौरान एक बार फिर इस मजेदार किस्से को सांझा किया। उन्होने बताया कि किन परिस्थितियों में माही को कमान देने का निर्णय किया गया था। कौन-कौन उनके कौशल को पहचान कर उन्हें कप्तान बनाने के पक्ष में था, और कौन उनके पक्ष में नहीं था।
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ऐसे कप्तान बने थे धोनी
बात 2007 की है, उस साल वनडे विश्व कप खेला गया था। जिसमें पिछली बार की उपविजेता टीम इंडिया नॉक आउट में पहुंचने में असफल रही थी,और पहले ही राउंड में शर्मनाक तरीके से हार कर बाहर हो गई थी। जबकि उस समय टीम में एक से बढ़कर एक दिग्गज मौजूद थे। द्रविड़ के अगुवाई वाली टीम में तेंदुलकर, गांगुली, सहवाग, युवराज, कुंबले, हरभजन, जहीर खान, अगरकर जैसे दिग्गज मौजूद थे।
टीम की इस शर्मनाक हार के बाद काफी किरकिरी हुई थी। संयोग से उसी साल पहला टी20 विश्व कप भी खेला जाना था, जिसमें पूर्व कप्तान सचिन और गांगुली खेलने के इच्छुक थे। लेकिन कप्तान द्रविड़ ने उन्हें न खेलने की सलाह देते हुए सीनियर खिलाड़ियों के बजाय नए लड़कों को खिलाने की सलाह दी। ये तय हुआ की सीनियर खिलाड़ी इसमें नहीं खेलेंगे, फिर बड़ा प्रश्न ये था कि कप्तानी कौन करेगा?
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तब युवराज, सहवाग और धोनी के नाम सामने आए, सीनियर खिलाड़ी राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर ने एमएस धोनी के कौशल को पहचान लिया था। उन्होंने माही की पैरवी की, लेकिन तत्कालीन बीसीसीआई प्रेसीडेंट उनके पक्ष में नहीं थे। आखिरकार रात भर चली मीटिंग के बाद उन्होंने सचिन और द्रविड़ कि सलाह मान ली, और इस तरह धोनी युग का आरंभ हुआ।