टीम इंडिया (Team India) के लिए खेल चुके दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने जीवन में कई मुकाम हासिल किए हैं। उन्होंने अपने शानदार खेल से सफलता की कई ऊंचाइयों को छुआ है। टीम इंडिया के लिए 2 विश्व कप (World Cup) जिताने वाले हरभजन के मन में एक टीस है। जो रह-रह कर उन्हें परेशान करती है। अपने इस दर्द को वो कई बार बयां कर चुके हैं। आखिर ऐसा क्या है जिसका हरभजन को मलाल है और ज़िंदगी भर रहेगा।
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2011 के विश्व विजेताओं को उचित सम्मान न मिलने की कसक
भज्जी के नाम से विख्यात हरभजन सिंह के मन में टीस है कि जब टीम इंडिया ने 2011 में आखिरी बार विश्व कप जीता था, तो उसके बाद टीम को चैम्पियन बनाने वाले खिलाड़ियों को नजरअंदाज करते हुए टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उन्हें ऐसे निकाल दिया गया, जैसे दूध में से मक्खी को निकाल दिया जाता है। हरभजन ने कहा कि "2011 के विश्व विजेता खिलाड़ियों को खिलाना तो दूर सम्मानजनक विदाई के लायक भी नहीं समझा गया।"
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आगे भज्जी ने कहा "ऐसा नहीं होना चाहिए था, हमें अपने नायकों के साथ ऐसा सलूक नहीं करना चाहिए था। वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag), युवराज सिंह, गौतम गंभीर सहित कई अन्य खिलाड़ियों को भी मैदान के बाहर से ही विदाई लेनी पड़ी। वीरू और युवी कोई साधारण खिलाड़ी नहीं थे। ये स्पेशल प्लेयर थे, लेकिन इन्हें फेयरवेल मैच तक दिया गया, ये बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।"
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गंभीर भी बता चुके हैं युवी को स्पेशल
सिर्फ हरभजन ही नहीं इससे पहले गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) भी कह चुके हैं कि हमने युवराज सिंह जैसे खिलाड़ी की कद्र नहीं की है, उन्हें वो स्थान नही दिया है जो देना चाहिए था। गंभीर ने कहा "आप युवी के बिना 2 बार विश्व कप जीत ही नहीं सकते थे। यदि वो न होते तो हम 2007 और 2011 में चैम्पियन बन नहीं पाते।"
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गंभीर ने कहा "आप युवराज सिंह (Yuvraj Singh) के दोनों विश्व कप के योगदान को हटाकर देखिए। आपको पता चल जाएगा उनकी वैल्यू कितनी है। मैंने उनके जितना टेलेंटेड खिलाड़ी कोई दूसरा नहीं देखा। लेकिन दुर्भाग्यवश हमने उनकी कद्र नहीं की, उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया, जिसके वो हकदार थे।"