24 अप्रैल को खेल प्रेमियों के लिए एक यादगार दिन माना जाता है, इसकी वजह है इस दिन महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का जन्मदिन (Sachin Birth Day) मनाया जाता है। इस साल ये दिन और भी खास है, क्योंकि इस साल सचिन अपने जीवन के 50 वर्ष पूरे कर रहे हैं। मैदान में अर्धशतकों की झड़ी लगाने वाले सचिन इस दिन अपने जीवन का अर्धशतक पूरा कर रहे हैं।
सचिन तेंदुलकर का रुतबा सिर्फ एक क्रिकेटर के रूप तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनको पूरे खेल जगत का एम्बेसडर माना जाता है। सचिन को लाखों लोग भगवान की तरह मानते है। तेंदुलकर का नाम खेल की दुनिया में बड़े सम्मान से लिया जाता है। हालत ये है कि खेल से संन्यास लेने के एक दशक बाद भी उनका जलवा आज भी बरकरार है। सचिन आज भी वर्तमान समय में खेल रहे खिलाड़ियों की तुलना में कहीं ज्यादा लोकप्रिय हैं।
सचिन ने क्रिकेट में खास तौर पर वनडे में बतौर ओपनर जो भी कीर्तिमान बनाए हैं, उन्हें तोड़ना किसी के लिए भी बिल्कुल भी आसान नहीं है। उनकी गिनती सर्वकालीन महान ओपनर्स में की जाती है। लेकिन सचिन अपने करियर की शुरुआत में ओपनर नहीं थे, लेकिन एक घटना ने उनके करियर की दिशा ही बदल कर रख दी। आखिर ऐसा क्या हुआ मिडिल ऑर्डर का ये बल्लेबाज अचानक टीम इंडिया (Team India) का सबसे सफल ओपनर बन गया।
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मजबूरी में करनी पड़ी थी ओपनिंग
बात है 1994 की, टीम इंडिया न्यूजीलैंड के दौरे पर गई हुई थी। वनडे सीरीज के दौरान नवजोत सिंह सिद्दू और अजय जडेजा टीम इंडिया की ओर से ओपनर की भूमिका निभा रहे थे। लेकिन अचानक 27 मार्च को खेले जाने वाले दूसरे वनडे से पहले अचानक नवजोत सिंह सिद्दू की तबीयत बिगड़ गई। अब टीम मैनेजमेंट के सामने समस्या थी कि सिद्दू की जगह ओपनिंग कौन करेगा? क्योंकि बतौर ओपनर कोई और उचित विकल्प नहीं था।
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काफी विचार विमर्श के बाद निर्णय लिया गया कि मिडिल ऑर्डर में खेलने वाले टेलेंटेड बल्लेबाज सचिन को ओपनिंग कराई जाए। उस मैच में टीम के हित में मजबूरी में सचिन को ओपनिंग करनी पड़ी। लेकिन कहते हैं कि कभी-कभी आपदा में भी अवसर छिपा होता है, यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ। ये प्रयोग सचिन और टीम इंडिया के लिए वरदान बनकर सामने आया। सचिन उस मैच में बतौर ओपनर खेले और क्या खूब खेले।
इस मैच में सिद्दू की जगह जडेजा के साथ ओपनिंग करने वाले तेंदुलकर ने शानदार बल्लेबाजी का नमूना पेश करते हुए मात्र 49 गेंदों पर 82 रन की धुआंधार पारी खेली। अपनी इस पारी में चौकों की झड़ी लगते हुए सचिन तेंदुलकर ने 15 चौके जड़े, साथ ही 2 छक्के भी लगाए। कोई भी कीवी गेंदबाज उस दिन उनके सामने टिक नहीं पाया। इस पारी में भले ही वो शतक लगाने से चूक गए हों, लेकिन इस पारी ने उनके शतकों के रिकॉर्ड की बुनियाद डाल दी। वैसे उनकी ये पारी किसी शतक से कम नहीं थी।
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उस दिन सचिन ऐसा शानदार खेले कि टीम इंडिया और उनकी खेल की दिशा ही बदल गई। क्योंकि इस मैच में बतौर ओपनर उतरने वाले सचिन का करियर रिकॉर्ड उस समय तक इतना प्रभावी था नहीं था। 5 साल तक खेलने के बावजूद उनके नाम ओपनिंग करने से पहले एक भी शतक नहीं था। मजबूरी में ओपनिंग करने वाला ये बल्लेबाज इसके बाद टीम का नियमित ओपनर बन गया। बाद में गांगुली और सहवाग के साथ मिलकर उन्होंने टीम इंडिया को नए मुकाम पर पहुंचाया।