IND vs AUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच डे-नाइट टेस्ट मैच से पहले जानें क्या है पिंक और रेड में अंतर

IND vs AUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरा टेस्ट मैच एडिलेड में खेला जाना है। ये मैच पिंक बाॉल से खेला जाना है और इस मुकाबले से पहले ये जानने वाले हैं कि आखिर पिंक और रेड बाॉल के बीच क्या अंतर है। CRICKET

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By Praveen Mishra
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IND vs AUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा मैच एडिलेड में खेला जाना है। इस मुकाबले में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाना है और ये मैच डे-नाईट टेस्ट मैच खेला जाना है। ऐसे में इस आर्टिकल के माध्यम से ये जानने वाले हैं कि आखिर रेड और पिंक बॉल में क्या अंतर होता है।

बता दें कि टेस्ट क्रिकेट को और भी अधिक रोमांचक बनाने के लिए डे-नाईट टेस्ट मैच का आयोजन किया गया था। ऐसे में अब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में भी पिंक बॉल से टेस्ट मैच खेला जाना है। ये दूसरा मौका होगा, जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच खेलती हुई नजर आने वाली है।

जानें लाल और गुलाबी गेंद में क्या होता है अंतर 

दरअसल, लाल और गुलाबी गेंद में सबसे पहला अंतर ये है कि गुलाबी गेंद को बनाने में अधिक समय लगता है। लाल गेंद को लेदर बनाने के बाद उसको कलर किया जाता है, जबकि गुलाबी गेंद का लेदर शुरू से ही रंग दिया जाता है। इसके अलावा रेड बॉल की सिलाई के लिए सफ़ेद रंग के धागे का उपयोग किया जाता है, जबकि पिंक बॉल में काले रंग के धागे का इस्तेमाल किया जाता है।

गुलाबी गेंद का उपयोग उस टेस्ट मैच में किया जाता है, जो डे-नाईट होता है। ऐसे में अगर रात में लाल गेंद का उपयोग रात में किया जायेगा, तो इसको बल्लेबाजों को देखने में कठिनाई हो सकती है। तो वहीं गुलाबी गेंद को अधिक पॉलिश किया जाता है, जिसकी वजह से रात में ये अधिक चमकती है और बल्लेबाजों को कठिनाई नहीं होती है।

तेज गेंदबाजों को मिलती है अधिक मदद 

लाल गेंद के मुकाबले गुलाबी गेंद से तेज गेंदबाजों को अधिक मदद मिलती है। दरअसल, पिंक बॉल को चमकाने के लिए इसमें कई लेयर पॉलिश लगाई जाती है और इसी वजह से ये अधिक सख्त होती है। ऐसे में इस गेंद की चमक जल्दी नहीं जाती है और ये अधिक समय तक सख्त रहती है। इसी कारण से पिंक बॉल से रिवर्स स्विंग देखने को बहुत ही कम देखने को मिलती है।

तो वहीं गुलाबी गेंद से बल्लेबाजों के लिए सबसे अधिक चुनौती होती है क्योंकि जब सूर्यास्त का समय होता है, तो उस समय गेंद कम दिखाई देती है और ऐसे में बल्लेबाजों के लिए ये समय सबसे अधिक मुश्किल माना जाता है। तो वहीं ला गेंद के पुरानी होने के बाद इससे रिवर्स स्विंग मिलती है और स्पिनर को भी मदद मिलती है लेकिन पिंक बॉल में ऐसा देखने को नहीं मिल सकता है।

 

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