IPL Business Model, How BCCI And Teams Earns: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग है। यहां खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये की कीमत देकर खरीदा जाता है। 2025 के सीजन में लखनऊ सुपर जायंट्स ने ऋषभ पंत को 27 करोड़ रुपये की कीमत में खरीदा, जिसके बाद वह टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे महंगे खिलाड़ी बने। अब सवाल यह उठ रहा है कि टूर्नामेंट की फ्रेंचाइजी कैसे कमाई करती हैं? तो आइए जानते हैं कि आईपीएल का बिजनेस मॉडल क्या है।
IPL में बीसीसीआई और टीमों की कमाई का मुख्य जरिया
आईपीएल में बीसीसीआई और टीमों की कमाई के दो मुख्य सोर्स होते हैं। सबसे बड़ा सोर्स मीडिया राइट्स होते हैं। इसके अलावा दूसरा सोर्स टाइटल स्पॉन्सरशिप राइट्स होते हैं।
मीडिया और डिजिटल राइट्स (IPL)
आप आईपीएल के मुकाबले जिस भी टीवी चैनल या लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर देखते हैं, उस चैनल या प्लेटफॉर्म ने टूर्नामेंट के मीडिया और डिजिटल राइट्स खरीदे होते हैं। 2023 से 2027 के मीडिया और डिजिटल राइट्स को बीसीसीआई ने 48390 करोड़ रुपये की कीमत में बेचा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मीडिया राइट्स से होने वाली कमाई का आधा पैसा बीसीसीआई के खाते में जाता है, जबकि आधी रकम सभी फ्रेंचाइजी में बांट दी जाती है।
टाइटल स्पॉन्सरशिप
मीडिया राइट्स की तरह टाइटल स्पॉन्सरशिप की रकम में भी आधा-आधा बंटवारा होता है। आईपीएल 2025 का टाइटल स्पॉन्सर 'टाटा' है। टाटा ने 2024 से 2028 तक की स्पॉन्सरशिप के लिए 2,500 करोड़ रुपये की रकम अदा की है। इस रकम में भी बीसीसीआई और टीमों के बीच आधा-आधा बंटवारा होगा।
किट स्पॉन्सरशिप और कमर्शियल एड
इसके अलावा आईपीएल में बीसीसीआई और टीमों के पास कमाई के और भी जरिए हैं। मैच के बीच में आने वाले 10 सेकंड के ब्रेक के लिए करीब 15 लाख रुपये की कीमत अदा की जाती है। इसके अलावा खिलाड़ियों से लेकर फील्ड पर मौजूद अंपायर की जर्सी में तमाम कंपनियों के लोगो छपे होते है, जिससे फ्रेंचाइजी और बोर्ड की कमाई होती है।
इन तमाम तरह से स्पॉन्सरशिप के अलावा बोर्ड और टीमों की मैच के टिकट बेचने से भी कमाई होती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक घरेलू फ्रेंचाइजी को मैच टिकट का 80 प्रतिशत तक पैसा दिया जाता है।
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