दिग्गज तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा (Ishant Sharma) इस समय टीम इंडिया (Team india) का हिस्सा नहीं हैं। पिछले कुछ समय से उन्हें टेस्ट टीम (Test Team) में जो मौके मिल रहे थे , वो मिलने बंद हो गए हैं। पिछली साल तो उन्हें IPL Cricket में खेलने का मौका भी नहीं मिला था। लेकिन इस साल उन्होंने आईपीएल में शानदार प्रदर्शन करके अपनी वापसी की आस जगाई है।
उन्होंने बीयर बाइसेप्स पॉडकास्ट से अपने पुराने साथी और टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली (Virat Kohli) के बारे में बात की और उनसे जुड़े कुछ राज शेयर किए।
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कोहली की मानसिकता के बारे में ईशांत ने कहा
बीयर बाइसेप्स पॉडकास्ट से विराट कोहली के बारे में बात करते हुए ईशांत शर्मा ने कहा, "जिस दिन विराट कोहली के पिता का निधन हुआ, वह अकेले और दुखी थे। उन्हें नहीं पता था कि कैसे प्रतिक्रिया दें, लेकिन फिर उन्होंने बल्लेबाजी की और 17 साल की उम्र में उस मानसिक स्थिति से उबर कर गेम जीत लिया। आज तक मुझे समझ नहीं आया कि उन्होंने ऐसा कैसे किया। अगर मेरे साथ ऐसा होता, तो मैं मैदान पर ही नहीं जाता।"
इसके बाद ईशांत ने आगे कहा, “विराट कोहली की डिक्शनरी में उम्मीद जैसा कोई शब्द नहीं है, उनकी डिक्शनरी में सिर्फ ‘विश्वास’ शब्द है। उनका मानना है कि अगर आपके अंदर विश्वास है, तो आप दुनिया में कुछ भी कर सकते हो। टी20 वर्ल्ड कप 2022 (T20 WC 2022) में पाकिस्तान के खिलाफ मैच जीतने के बाद भी कोहली ने ये बात कही थी।"
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विराट के हंसी मज़ाक पर ये बोले ईशांत
ईशांत ने बीयर बाइसेप्स पॉडकास्ट से बातचीत में उनके मजाकिया स्वभाव पर कहा "मैं उनसे पहली बार दिल्ली अंडर-17 ट्रायल के दौरान मिला था। मुझे याद है कि मैंने एक छोटा सा लोअर पहना था। वह पहले ही इंडिया अंडर-19 खेल चुके थे, इसलिए मैंने उनका नाम काफी सुना था। उस समय हर कोई उन्हें 'वीरू' कहकर बुलाता था। हमारा मैच था पश्चिमी दिल्ली क्रिकेट अकादमी में और उन्होंने मुझे बहुत परेशान किया। मेरी गेंदों में लगातार बड़े शॉट खेले। नजफगढ़ में विकेट सड़क की तरह सपाट था।"
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ईशांत ने अंत में कहा "मैं किसी तरह अंडर-17 ट्रायल के लिए चयनित हो गया। वहां मेरी उनसे व्यक्तिगत मुलाकात हुई। उन्होंने मजाक में मुझसे कहा, 'भाई लोअर तो लेले अपने साइज का'। मैं तब बहुत शर्मीला था। मुझे नहीं पता था कि दूसरों के साथ कैसे बातचीत करनी है। मुझे नहीं पता था कि दिल्ली अंडर-17 में खेलना कितनी बड़ी बात है। मेरे पिता हमेशा कहते थे, 'कम से कम रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) में जाने की कोशिश करो ताकि तुम्हें सरकारी नौकरी मिल सके।' हालांकि किसी ने ऐसा नहीं सोचा था कि मैं एक दिन भारत के लिए खेलूंगा।''