जब से वेस्टइंडीज दौरे (WI Tour) के लिए टेस्ट टीम (Test Team) का चयन हुआ है, तब से इस टीम के चयन को लेकर चयनकर्ता खेल विशेषज्ञों के निशाने पर आ गए हैं। इस टीम चयन ने ये विवाद भी छेड़ दिया है कि क्या टेस्ट टीम का चयन रणजी ट्रॉफी के आधार पर न करते हुए IPL के आधार पर किया गया है और क्या भविष्य में टेस्ट टीम आईपीएल के आधार पर चुनी जाएगी?
इसकी वजह लगातार 3 सालों से अच्छा प्रदर्शन कर रहे सरफराज खान (Sarfaraz Khan) को नजरअंदाज करना तो है ही, साथ ही घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे कई खिलाड़ियों के ऊपर IPL में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को तरजीह देना है। इस वजह से खेल विशेषज्ञ भड़के हुए हैं और वो रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। जिनमें सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar), वसीम जाफर (Wasim Jaffer) जैसे दिग्गज भी शामिल हैं।
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क्यों उठे सरफराज पर सवाल?
जब ये सवाल उठे कि सालों से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे सरफराज को नजरअंदाज क्यों किया रहा है? तो इस पर BCCI ने सफाई दी कि उन्हें प्रदर्शन के कारण नहीं, बल्कि फिटनेस और अनुशासन की कमी के कारण नहीं चुना जा रहा है। इसके अलावा उनके रणजी में दिल्ली के खिलाफ सेंचुरी मारने के बाद सेलिब्रेशन के दौरान चयनकर्ताओ को देखकर एग्रेशन दिखाने को भी अनुशासनहीनता माना गया।
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बीसीसीआई की ये सफाई गले नही उतर रही है। क्योंकि पहली बात टीम इंडिया (Team India) में शामिल कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनके साथ भी लंबे समय से फिटनेस की समस्या है। इसके अलावा उनके प्रदर्शन में भी निरंतरता का अभाव है। लेकिन उनके चयन में ये चीजें कभी बाधा नहीं बनी। दूसरा मुंबई बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि सरफराज ने चयनकर्ताओं के खिलाफ नहीं बल्कि सामान्य रूप में दिवंगत पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला के स्टेप को फॉलो करते हुए सेलिब्रेट किया था।
रही एग्रेशन दिखाने की बात तो टीम इंडिया के कई खिलाड़ी भी कोई एचीवमेंट हासिल करने के बाद ऐसा ही करते हैं। इसके अलावा बीसीसीआई की ओर से ये भी कहा गया कि चयनकर्ता बेवकूफ नहीं है, जो उनके सरफराज को नहीं चुनने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन ये भी समझना होगा कि सवाल उठाने वाले भी दिग्गज विशेषज्ञ हैं, बेवकूफ तो वो भी नहीं हैं।
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सरफराज ही नहीं अन्य खिलाड़ियों के साथ भी हुआ है भेदभाव
सिर्फ सरफराज ही नहीं इसके अलावा कई अन्य खिलाड़ी भी हैं, जिनके साथ लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद भी भेदभाव हो रहा है। उदाहरण के तौर पर अभिमन्यु ईश्वरन, प्रियांक पांचाल, पृथ्वी शॉ और जलज सक्सेना जैसे कई नाम सामने आ जाएंगे। जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में सिर्फ एक सीजन नहीं बल्कि लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है, फिर भी इन्हें नजरंदाज किया जा रहा है। क्योंकि इनका दोष सिर्फ इतना है कि इनमें से अधिकांश आईपीएल नहीं खेलते हैं। इसीलिए इनके ऊपर रुतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) को तरजीह दी गई है।
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टेस्ट क्रिकेट तो छोड़िए लगता है कि घरेलू क्रिकेट में भी टीम का चयन आईपीएल के आधार पर किया जाने लगा है। इसीलिए घरेलू क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी जलज सक्सेना (Jalaj Saxena) को रणजी में सबसे ज्यादा विकेट लेने के बावजूद भी दिलीप ट्रॉफी के लिए नहीं चुना गया है। विशेषज्ञ इन सब चीजों से खुश नहीं हैं। कुछ ने तो ये तक कह दिया है कि अगर सिर्फ फिटनेस के आधार पर ही टीम चुननी है, प्रदर्शन के आधार पर नहीं, तो फिर आप एथलीटों को क्रिकेट टीम में चुनिए।