Hardik Pandya को आज एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ा है। उन्होंने राजस्थान रोपयाल्स के खिलाफ मैच नंबर 38 में 10 गेंदों में केवल 10 रन बनाए और आवेश खान की गेंद पर LBW आउट हो गए। उनकी अभिनय प्रदर्शनी में इतनी गिरावट आई है कि उन्हें अब 'अयोग्य' और 'फ्लॉप' जैसे शब्दों से चिह्नित किया जा रहा है। यह कठिन है कि किसी खिलाड़ी के लिए इस तरह का निर्णय लेना, परंतु पांड्या के पिछले कुछ मैचों में उनकी बेहतरीन प्रदर्शनी के लिए आत्म-समीक्षा की आवश्यकता है।
मुंबई के लिए उनके बजाए सिरदर्द होना खासी अद्भुत है। पांड्या को सभी की उम्मीदें थीं कि वे अपनी कमान की दांव पर अपनी शानदार खेली दिखाएंगे। लेकिन खेल का अच्छा प्रारंभ बाद में एक नाकामयाबी में बदल गया। उनकी बैटिंग के कारण उन्हें निशाना बनाने के साथ ही उनकी बाउंसिंग करियर के सवाल भी उठ गए हैं।
पांड्या की यह पिछली कुछ IPL मैचों में दिखाई देने वाली निष्क्रियता उनके लिए न केवल उनके खुद के लिए बल्कि टीम के लिए भी हानिकारक है। उन्होंने अपने 8 मैचों में 21.57 की बेहद कम औसत से केवल 151 रन बनाए हैं। वहीं अगर उनकी गेंदबाजी की बात करें तो उन्होंने 8 मैचों में 11.00 की इकोनॉमी से 165 रन देकर सिर्फ 4 विकेट लिए हैं। मुंबई इंडियंस को उनकी आवश्यकता है, और इस समय जब उनका प्रदर्शन इतना असंतुलित है, तो टीम को अपनी अधिकतम क्षमता का उपयोग करना होगा।
उनकी कप्तानी में मुंबई ने 7 में से सिर्फ 3 मैच जीते और इस सीजन में काफी विवादों में भी रहे। अब पांड्या को अपने क्षमताओं को पुनः साकार करने की आवश्यकता है। वे अपनी बैटिंग और गेंदबाजी कौशल को पुनः स्थायीता और संवेदनशीलता के साथ प्रदर्शित कर सकते हैं। उन्हें अपने खेल को स्थाई और स्थिर बनाने के लिए अपनी ताकतों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि वे फिर से अपने टीम के लिए महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन सकें।
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