Why Indian Players do not Play Other T20 Leagues IPL: इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत साल 2008 में हुई थी, लेकिन उस दौर में बहुत कम लोग ऐसा मानते थे कि फ्रैंचाइजी क्रिकेट आगे चलकर कुछ बड़ा कर पाएगा। मगर कुछ ही सालों में ना केवल IPL की लोकप्रियता बढ़ी बल्कि रेवेन्यू में भी तगड़ा मुनाफा आने लगा था। आज स्थिति यह है कि आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 12 बिलियन यूएस डॉलर्स यानी एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर चली गई है।
2008 में IPL के शुरू होने के बाद दुनिया भर में ढेरों संख्या में क्रिकेट लीग शुरू हो गई हैं। मगर आज भी यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है कि आखिर भारतीय क्रिकेटर विदेशी लीगों में क्यों नहीं खेलते। ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग से लेकर पाकिस्तान की PSL ने दुनिया भर में छाप छोड़ी है। यहां आइए जानते हैं कि आखिर भारतीय प्लेयर्स इन लीगों में क्यों नहीं खेलते हैं?
Why Indian Players do not Play Other T20 Leagues IPL
वह साल था 2010 जब बिग बैश लीग की शुरुआत के प्लान तैयार किए जा रहे थे। उस समय एक अधिकारी ने आइडिया रखा था कि वो रोहित शर्मा को सिडनी थंडर टीम का हिस्सा बनाना चाहते हैं। वहीं किसी ने पेशकश करते हुए कहा कि एमएस धोनी, रोहित शर्मा या कोई अन्य खिलाड़ी भी BBL में आ जाए तो लीग के वारे न्यारे हो जाएंगे।
जब BCCI के पास प्रपोजल पहुंचा तो इस पर विचार किया गया। सभी समीकरणों को टटोला गया और माना गया कि भारतीय खिलाड़ियों का विदेशी लीगों में खेलने का अर्थ उनकी लोकप्रियता में इजाफा और मीडिया राइट्स में खूब सारे पैसे को बुलावा देना होगा। भारत में कई अधिकारियों का मानना था कि यह फैसला अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।
ऐसे में इंडियन प्रीमियर लीग के संस्थापकों ने एक ऐसी सलाह की पेशकश करी जिससे भारतीय खिलाड़ियों पर विदेशी लीगों में खेलने से प्रतिबंध लगा दिया जाए। वहीं IPL की टीम भी विदेश की टीमों के साथ दोस्ताना मैच नहीं खेल पाएंगी। उस समय विदेश से दोस्ताना मैच करवाने की मांग उठी थी। इस नियमों को बाद में लागू भी कर दिया गया, जिस पर अब तक अमल किया जा रहा है।
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