2011 के वर्ल्ड कप में युवराज ने जो करिश्मा कर दिखाया, उसकी कल्पना मात्र से भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझते हुए, खून की उल्टियां करते हुए भी मैदान पर उनकी जुझारूता देखते ही बनती थी। हार मानने का तो सवाल ही नहीं था।

भारत में खेले गए उस विश्व कप में युवराज का जुनून और देश को चैंपियन बनाने का सपना हर बाधा से ऊपर था। गौतम गंभीर की 97 रनों की पारी और एमएस धोनी के विजयी छक्के की तस्वीरें हर भारतीय फैन के दिल में बसी हैं। लेकिन उस ऐतिहासिक फाइनल तक पहुंचने में युवराज का योगदान किसी भी रूप में कम नहीं था।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यादगार पारी

2011 वर्ल्ड कप का हर मुकाबला युवराज के लिए खास था, लेकिन क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई उनकी पारी अविस्मरणीय है। डिफेंडिंग चैंपियंस को हराना आसान नहीं था। 261 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम ने 168 पर 4 विकेट गंवा दिए थे। इसी दबाव में युवराज मैदान पर उतरे।

कंगारू गेंदबाजों का दबदबा बढ़ रहा था, स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया था। लेकिन युवराज का आत्मविश्वास अडिग था। उन्होंने 65 गेंदों पर 57 रन बनाए और सुरेश रैना के साथ मिलकर अर्धशतकीय साझेदारी करते हुए टीम को जीत दिलाई। इस मैच में युवी ने सिर्फ बल्ले से ही नहीं, बल्कि गेंद से भी जलवा दिखाते हुए ब्रैड हैडिन और माइकल क्लार्क को आउट किया।

कैंसर के साथ जंग और वर्ल्ड कप का जुनून

टूर्नामेंट के दौरान ही युवराज को पता चला कि वह कैंसर से जूझ रहे हैं। खून की उल्टियां और कमजोर शरीर उनके प्रदर्शन पर भारी पड़ रहे थे, लेकिन उन्होंने किसी को यह आभास नहीं होने दिया। मैदान पर उनका प्रदर्शन उनकी बीमारी को कहीं पीछे छोड़ चुका था।

28 साल बाद भारत को विश्व कप जीताने की उनकी जिद और समर्पण ने करोड़ों भारतीयों का सपना पूरा किया। फाइनल में एमएस धोनी के छक्के के साथ ही हर किसी की आंखों में खुशी के आंसू थे, और युवी की आंखों में उस पल की चमक अटूट थी।

सेमीफाइनल और फाइनल में गेंद से धमाल

सेमीफाइनल में भले ही युवराज का बल्ला खामोश रहा हो, लेकिन उनकी गेंदों ने कमाल कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान के असद शफीक और यूनिस खान को पवेलियन लौटाया और मैच का रुख पलट दिया। फाइनल में भी युवराज ने श्रीलंका के कुमार संगकारा को उस वक्त आउट किया, जब वह सेट हो चुके थे। यह विकेट निर्णायक साबित हुआ।

वर्ल्ड कप का नायक

युवराज ने 2011 वर्ल्ड कप में 9 मैचों में 86.19 की औसत से 362 रन बनाए और गेंद से 15 विकेट झटके। उनके ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया।

युवराज सिंह ने अपने अदम्य साहस और दृढ़ता से कैंसर को हराया और भारत को विश्व क्रिकेट का सिरमौर बनाया। उनका यह सफर आज भी प्रेरणा का स्त्रोत है, और उनकी गाथा को दुनिया भर में सलाम किया जाता है।

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