Paralympics 2024 PM Modi Avani Lekhara: पैरालिंपिक में तीन व्यक्तिगत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर अवनी लेखरा ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया। 22 वर्षीय अवनी लेखरा (Avani Lekhara) ने शुक्रवार (30 अगस्त 2024) को चेटौरॉक्स - फाइनल रेंज में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 फाइनल में गोल्ड मेडल जीतकर यह उपलब्धि हासिल की। उनकी इस शानदार जीत पर देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भी उनको बधाई दी।
Paralympics 2024 PM Modi Avani Lekhara
आपको बताते चलें कि पीएम मोदी (PM Modi) ने ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए अवनी लेखरा (Avani Lekhara) के बारे में लिखा, “अवनि लेखरा को आर2 महिला 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 स्पर्धा में प्रतिष्ठित स्वर्ण जीतने के लिए बधाई। उन्होंने इतिहास भी रच दिया है क्योंकि वह 3 पैरालिंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं! उनका समर्पण भारत को गौरवान्वित करता है।”
गौरतलब है कि तीन पदक जीतने वाले अन्य भारतीय जोगिंदर सिंह बेदी और देवेंद्र झाझरिया हैं। अवनी लेखरा (Avani Lekhara) 249.7 के स्कोर के साथ शीर्ष पर रहीं, जो पैरालिंपिक रिकॉर्ड भी था। शूटर ने 249.6 का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा, जो उन्होंने तीन साल पहले टोक्यो में बनाया था। वहीं यह यूक्रेन की इरीना शेतनिक के नाम 252 का वर्ल्ड रिकॉर्ड है, जो उन्होंने 2023 में बनाया था। पेरिस में शूटिंग इवेंट में मोना अग्रवाल ने कुल 228.7 अंकों के साथ कांस्य पदक जीता, जबकि दक्षिण कोरिया की युनरी ली ने 246.8 अंकों के साथ रजत पदक जीता।
जहां तक अवनी लेखरा (Avani Lekhara) की बात है, तो उन्होंने क्वालिफिकेशन राउंड में 625.8 अंकों के साथ दूसरा स्थान हासिल करके प्रभावशाली प्रदर्शन किया। मोना 623.1 अंकों के साथ शीर्ष 8 में भी जगह बनाने में सफल रही थीं। 2001 में जयपुर में जन्मी लेखरा को 2012 में एक ऐसी दुर्घटना का सामना करना पड़ा, जिसने उन्हें 11 साल की उम्र में पैराप्लेजिया से पीड़ित कर दिया। इस चुनौती के बावजूद, उन्होंने अपना ध्यान शूटिंग खेलों पर केंद्रित किया और पैरा-शूटिंग प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए कठोर प्रशिक्षण लिया।
गोल्ड मेडल जीतने वाली अवनी लेखरा (Avani Lekhara) ने कहा, “यह खेल मेरे लिए संयोग से हुआ। मैं नौवीं कक्षा में था, और हमारी गर्मी की छुट्टियां थीं। मैंने तीरंदाजी और तैराकी जैसे कई खेलों को आजमाया। [जगतपुरा] शूटिंग रेंज जयपुर में मेरे घर के करीब है, इसलिए यह चुनना सबसे आसान विकल्प था। पहली बार जब मैं रेंज में गया, तो मैंने ब्लैक सर्कल में 10-20 शॉट लगाए। वहां के कोच ने तब सुझाव दिया कि मैं इस खेल को पूर्णकालिक रूप से आजमाऊं। जैसे-जैसे मैं प्रतियोगिता के एक स्तर से दूसरे स्तर पर पहुंचा, मुझे यह खेल पसंद आने लगा। शूटिंग ने मुझे आत्मविश्वास और खुशी का एहसास कराया।”
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