पीआर श्रीजेश ने भारतीय हॉकी टीम के साथ पेरिस ओलिंपिक 2024 में कांस्य पदक अपने नाम किया है। उन्होंने भारत के साथ लगातार दूसरी बार ओलिंपिक में पदक अपने नाम किया है। भारतीय हॉकी टीम ने 50 सालो के बाद लगातार 2 ओलिंपिक गेम्स में पदक जीते है।
PR sreejesh शुरूआती जीवन:
8 मई, 1988 को केरल के एर्नाकुलम जिले के किझक्कम्बलम गांव में जन्मे पीआर श्रीजेश का बचपन एक किसान परिवार में बीता। शुरुआत में उनका रुझान हॉकी की ओर नहीं था, बल्कि एथलेटिक्स में उनकी दिलचस्पी थी। तिरुवनंतपुरम के जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में उन्होंने स्प्रिंट, लंबी कूद, और वॉलीबॉल में भाग लिया।
हॉकी की ओर रुख
श्रीजेश की प्रतिभा को उनके कोचों जयकुमार और रमेश कोलप्पा ने पहचाना और उन्हें हॉकी की ओर मोड़ा। धीरे-धीरे उनकी प्रतिभा निखारने लगी और उन्होंने जल्द ही अपनी काबिलियत साबित करनी शुरू कर दी। उन्होंने करियर की शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना किया है।
करियर का उदय
उनकी करियर काफी उतार चढ़ाव से भरा ह़ा रहा है लेकिनं उन्होंने काफी कम उम्र में ही अपना पदार्पण कर लिया था और उन्होंने शानदार प्रदर्शन भी किया था जिसके कारण वो सभी की निगाहों में आगये थे।
2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जूनियर टीम से अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत।
2006 में श्रीलंका में दक्षिण एशियाई खेलों में सीनियर टीम में डेब्यू।
2008 में जूनियर एशिया कप में भारत की जीत में अहम भूमिका, 'टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर' का खिताब।
संघर्ष के बाद सफलता
श्रीजेश के करियर में उतार-चढ़ाव आए। कई बार टीम से बाहर होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत की। धीरे-धीरे उनकी लगन रंग लाई और वो भारतीय हॉकी टीम के अटल गोलकीपर बन गए।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दमखम
श्रीजेश ने अपनी शानदार बचाव क्षमता से दुनिया को प्रभावित किया। पेनल्टी शूटआउट में उनका दबदबा रहा। ओलंपिक, विश्व कप, एशियाई खेलों जैसे बड़े टूर्नामेंटों में उन्होंने भारत का मान बढ़ाया। उन्हें भारतीय टीम का दीवार कहा जाता है और लगातार ही अच्छा प्रदर्शन करते है और उन्हें काफी पसंद किया जाता है।
पुरस्कार और सम्मान
द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित कोच हरिंदर सिंह के मार्गदर्शन में श्रीजेश ने कई उपलब्धियां हासिल कीं।
अर्जुन अवार्ड, पद्म श्री और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न जैसे देश के सर्वोच्च खेल सम्मान हासिल किए
व्यक्तिगत जीवन
श्रीजेश की शादी तेजस्विनी से हुई है। वो एक साधारण व्यक्ति हैं और अपनी जमीन से जुड़े रहने के लिए जाने जाते हैं।
भारतीय हॉकी के लिए दीवार
पीआर श्रीजेश भारतीय हॉकी के लिए एक प्रेरणा हैं। उनकी कहानी संघर्ष, लगन और सफलता की एक मिसाल है। वो न केवल एक शानदार गोलकीपर हैं बल्कि भारतीय युवाओं के लिए एक आदर्श भी हैं।
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