Manish Narwal ने भारत के लिए जीता सिल्वर मेडल, पैरालिंपिक में दूसरी बार रचा इतिहास

Paralympics 2024 Manish Narwal: निशानेबाज मनीष नरवाल ने शुक्रवार (30 अगस्त 2024) को पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 फाइनल में सिल्वर मेडल जीतकर पेरिस पैरालिंपिक 2024 में निशानेबाजी में भारत को तीसरा पदक दिलाया। (Paris Olympics 2024)

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Shooter Manish Narwal wins 2nd silver medal at the Paralympics Games in Paris

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Paralympics 2024 Manish Narwal: निशानेबाज मनीष नरवाल ने शुक्रवार (30 अगस्त 2024) को पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 फाइनल में सिल्वर मेडल जीतकर पेरिस पैरालिंपिक 2024 में निशानेबाजी में भारत को तीसरा पदक दिलाया। मनीष ने कुल 234.9 अंक हासिल किए और कोरिया के जोंगडू जो को कड़ी टक्कर दी। जिन्होंने कुल 237.4 अंकों के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया। मनीष नरवाल (Manish Narwal) ने टोक्यो में 2020 पैरालिंपिक खेलों में मिश्रित SH1 50 मीटर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता था।

Paralympics 2024 Manish Narwal Win Silver Medal

आपको बताते चलें कि एसएच1 शूटिंग श्रेणी में वे एथलीट शामिल हैं जिनकी भुजाओं, निचले शरीर में सीमित गति होती है या जिनके अंग अनुपस्थित होते हैं। 22 वर्षीय मनीष नरवाल (Manish Narwal) की शुरुआत दिन में खराब रही। क्योंकि स्टेज 1 में पहले 10 शॉट्स में उन्होंने 5 10+ स्कोर बनाए और वह उस समय पदक की दौड़ से बाहर रहे। स्टेज 2 शुरू होने के बाद मनीष ने फिर से वापसी की और अगले 4 शॉट्स में 3 10+ स्कोर बनाए।

22 वर्षीय मनीष नरवाल (Manish Narwal) ने सही समय पर अपनी लय पकड़ी और ओलंपिक रिकॉर्ड धारक और चीन के चाओ यांग को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान पर पहुंच गए। जिससे भारतीय फैंस उत्साहित थे। हालांकि मनीष ने आखिरी 8 शॉट्स में केवल एक 10+ स्कोर बनाया। जिससे कोरिया के जो ने भारतीय शूटर से बढ़त हासिल की और बड़ा अंतर बनाया। आखिरकार मनीष को दिन में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। क्योंकि उन्होंने पेरिस पैरालिंपिक में भारत के लिए तीसरा और कुल मिलाकर चौथा पदक जीता।

गौरलतब है कि 22 वर्षीय मनीष नरवाल (Manish Narwal) ने अविश्वसनीय धैर्य का परिचय दिया और पिछली दो सीरीज में अपने सही शॉट चूकने पर भी उनके चेहरे पर मुस्कान थी। अपने दाहिने हाथ में जन्मजात विकलांगता और एक साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद मनीष का शूटिंग के प्रति जुनून 2016 में तब जगा जब उनका परिवार उन्हें स्थानीय शूटिंग रेंज में ले गया। खेल के प्रति तुरंत आकर्षित होकर वह नियमित रूप से रेंज में जाने लगा। शुरुआत में पैरालिंपिक के बारे में अनभिज्ञ मनीष को बस साथी एथलीटों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मज़ा आता था।

 

 

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