एक महीने से ज्यादा समय तक चलने के बाद 23 अप्रैल को शुरू हुआ पहलवानों का धरना-प्रदर्शन (Wrestlers Protest) पिछले 28 मई को तब समाप्त हो गया, जब पुलिस ने उनके संसद मार्च को कानून व्यवस्था के लिए खतरा बताते हुए उन्हें संसद मार्च से रोककर गिरफ्तार कर लिया। लेकिन इसके बाद भी रेसलर्स का आक्रोश शांत नहीं हुआ, उन्होंने अपने मेडल गंगा में बहाने का ऐलान कर दिया। हालांकि किसान नेता नरेश टिकैत के कहने पर उन्होंने अपना निर्णय स्थगित कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम में जो मामला जनवरी में कुश्ती संघ के प्रेसीडेंट ब्रजभूषण शरण सिंह (Braj Bhushan Sharan Singh) और कई रेसलर्स के बीच शुरू हुआ था, अब वो रेसलर्स बनाम केंद्र सरकार हो गया है। इसकी वजह ये है कि रेसलर्स (Wrestlers) को लगता है कि सरकार ब्रजभूषण शरण सिंह को अपनी पार्टी के सांसद होने के कारण बचाने का प्रयास कर रही है, वो उन पर सख्त रुख नहीं अपना रही, बल्कि नरमी से पेश आ रही है।
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इस मुद्दे पर समय-समय पर पहलवानों को अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ियों का और बाकी क्षेत्रों से जुड़े लोगों का समर्थन मिलता रहा है। इनमें विपक्षी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं। हालांकि कई सिलेब्रिटीज ने उनके कदम को गलत भी ठहराया है और उनसे इस मामले में संयम बरतने की सलाह भी दी है। इस मामले में अब 1983 की विश्व विजेता टीम इंडिया (1983 World Cup Winner Team) की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
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1983 की विश्व विजेता टीम का रिएक्शन
अब इस मामले पर 1983 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों ने एक बयान जारी कर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने किसी का स्पष्ट रूप से पक्ष नहीं लिया है, लेकिन खिलाड़ियों के साथ हुई मारपीट की घटना और उनके द्वारा मेडल बहाने के बारे में सोचने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
उन्होंने पूरे घटनाक्रम को अफसोसजनक बताया है। उन्होंने खिलाड़ियों से जल्दीबाजी में कोई कदम न उठाने की अपील की है। साथ ही उन्होंने सरकार से भी इस मामले को जल्द से जल्द हल करने को कहा है।
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1983 की क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम ने पहलवानों के विरोध पर बयान जारी किया "हम अपने चैंपियन पहलवानों के साथ मारपीट के अशोभनीय दृश्यों से व्यथित और परेशान हैं। हमें सबसे अधिक चिंता इस बात की भी है कि वे अपनी मेहनत की कमाई को गंगा नदी में बहाने की सोच रहे हैं। उन पदकों में वर्षों का प्रयास, बलिदान, संकल्प और धैर्य शामिल है और वे न केवल उनके अपने बल्कि देश के गौरव और आनंद हैं।"
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आगे अपने बयान में उन्होंने लिखा है कि "हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे इस मामले में जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें और यह भी आशा करते हैं कि उनकी शिकायतों को सुना जाएगा और जल्दी से हल किया जाएगा। देश के कानून को चलने दो।"