जानिए, भारतीय हॉकी के ‘दीवार’ कहे जाने वाले श्रीजेश की कहानी!

दरअसल, पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद भारतीय हॉकी टीम के दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया है. तो आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें.

श्रीजेश का चौथा ओलंपिक

बता दें, 36 साल के श्रीजेश का यह चौथा ओलंपिक था और उन्होंने इसका शानदार अंत किया. वह लगातार दो बार ओलंपिक (2020 और 2024) मेडल जीतने वाले भारतीय पुरुष हॉकी टीम का हिस्सा रहे.

अंतरराष्ट्रीय करियर

साल 2006 में श्रीलंका में हुए दक्षिण एशियन गेम्स में डेब्यू करने के बाद से पीआर श्रीजेश भारतीय टीम के नियमित सदस्य रहे हैं. उन्होंने अपने करियर में 336 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं.

किसान परिवार में जन्में श्रीजेश

आपको बता दें, केरल के एर्नाकुलम जिले के किझक्कम्बलम गांव में किसान परिवार में जन्में पीआर श्रीजेश शुरुआत में हॉकी में करियर बनाने के बारे में नहीं सोचते थे. लेकिन जब श्रीजेश युवा हुए तो उन्हें एथलेटिक्स ने काफी आकर्षित किया.

अहम भूमिका

2010 में अपना पहला विश्व कप खेलने के बाद श्रीजेश ने भारत को 2014 एशियाई खेलों में गोल्ड और जकार्ता-पालेमबांग में 2018 एशियाड में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

उपलब्धि

इसके अलावा श्रीजेश 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में सिल्वर मेडल और 2023 एशियाई चैंपियन ट्रॉफी जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे. साथ ही 2022 एशियाई खेलों में उन्होंने भारत को गोल्ड जीतने में मदद की थी.

गर्लफ्रेंड से की शादी

श्रीजेश ने अपनी गर्लफ्रेंड अनीषया से शादी की है, जो कि एक लॉन्ग जंपर और आयुर्वेद डॉक्टर भी हैं. इस कपल की एक बेटी (अनुश्री) और एक बेटा भी है.

अवॉर्ड

पीआर श्रीजेश को साल 2015 में अर्जुन पुरस्कार, 2017 में पद्म श्री और 2021 में खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. बता दें, साल 2021 में श्रीजेश को शानदार प्रदर्शन के लिए प्रतिष्ठित 'वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर' पुरस्कार भी मिला. श्रीजेश यह सम्मान पाने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं.