क्या है प्रसिद्ध ओलंपिक मशाल के पीछे का इतिहास और रहस्य? जानिए!

दरअसल, कल (26 जुलाई) से पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरूआत होने जा रही है. तो आइए जानते है कि ओलंपिक मशाल के इतिहास और इसके रहस्य के बारे में.

ओलंपिक मशाल की उत्पत्ति

आपको बताते चलें कि इतिहासकार ओलंपिक मशाल की उत्पत्ति पौराणिक ग्रीक देवताओं की शक्तिशाली रानी हेरा को समर्पित एक प्राचीन मंदिर से मानते हैं.

ओलंपिया में...

यह तीर्थस्थल ओलंपिया में स्थित है, जो सरू की छाया वाला एक पुरातात्विक स्थल है. प्राचीन यूनानियों ने लौ जलाने के लिए एक प्रकार के क्रूसिबल, स्काफिया का उपयोग किया था. इस उपकरण को सूर्य की ओर मुंह करके रखा जाता था, जिससे इसकी किरणें सूखी घास को जलाने के लिए केंद्रित होती थीं.

ओलंपिक मशाल की परंपरा

आधुनिक ओलंपिक खेलों में ओलंपिक मशाल की परंपरा 1928 के एम्स्टर्डम खेलों से शुरू हुई, जहां पूरे आयोजन के दौरान ओलंपिक स्टेडियम के प्रवेश द्वार पर एक मशाल जलाई गई और जलती रही.

ओलंपिक की पहली रिले

बता दें, पहली रिले 1936 के ओलंपिक खेलों के लिए ओलंपिया से बर्लिन तक हुई थी. 20 जुलाई 1936 को एक युवा ग्रीक, कॉन्स्टेंटिन कोंडिलिस आधुनिक ओलंपिक मशाल रिले में पहले धावक बने. जिसने एक परंपरा की शुरूआत की जो आज भी जारी है.

शांति और मित्रता का संदेश

ओलंपिक मशाल रिले, प्राचीन ग्रीस के प्रथाओं से प्रेरित एक आधुनिक आविष्कार है, इसके साथ ही ओलंपिक खेलों की शुरुआत होती है और इसके जरिए शांति और मित्रता का संदेश दिया जाता है.

फ्रांस में...

मालूम हो कि इस साल मई में फ्रांस में मशाल रिले की शुरुआत हुई थी और पिछले 65 चरणों में यह देश के सभी प्रमुख हिस्सों में जा चुकी है. लोकप्रिय अमेरिकी रैपर स्नूप डॉग 26 जुलाई 2024 को पेरिस में उद्घाटन समारोह से पहले ओलंपिक मशाल के अंतिम मशालवाहक होंगे.

कौन जलाएगा ओलंपिक कड़ाही?

गौरतलब है कि ओलंपिक कड़ाही को जलाने वाले व्यक्ति का नाम आमतौर पर आखिरी समय पर ही बताया जाता है और उसे सरप्राइज रखा जाता है.