Birth Anniversary Major Dhyan Chand: मध्य प्रदेश के जबलपुर में महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेटे और ओलंपियन अशोक कुमार ने राष्ट्रीय खेल दिवस के शुभ अवसर पर अपने पिता की प्रतिमा का अनावरण किया। जिससे माहौल भावुक और गर्व से भर गया। यह दिन, जिसे हर साल 29 अगस्त को "द विजार्ड" के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की जयंती के सम्मान में मनाया जाता है। उन्होंने एक बार फिर देश को मेजर ध्यानचंद द्वारा छोड़ी गई असाधारण विरासत की याद दिला दी है।
#WATCH | Jabalpur, Madhya Pradesh: Olympian Ashok Kumar unveiled his father, Major Dhyan Chand's statue on the occassion of his birth anniversary and National Sports Day on August 29, in the Marshall Complex of the State Electricity Board headquarters. (28.08) pic.twitter.com/6hzXLGvtRj
— ANI (@ANI) August 29, 2024
Birth Anniversary Major Dhyan Chand
आपको बताते चलें कि मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand), जिनका नाम भारतीय हॉकी का पर्याय है। उन्होंने 1925 से 1949 तक देश का प्रतिनिधित्व किया। उनका करियर शानदार रहा, जिसमें उन्होंने 185 मैचों में 1500 से ज़्यादा गोल किए। उन्होंने 1928, 1932 और 1936 में भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाए। जिससे खेल इतिहास में उनका नाम दर्ज हो गया। उनके बेटे अशोक कुमार द्वारा उनकी प्रतिमा का अनावरण एक ऐसा क्षण था। जो न केवल हॉकी प्रेमियों के लिए बल्कि हर उस भारतीय के लिए बहुत मायने रखता था, जो खेल भावना और राष्ट्रीय गौरव के मूल्यों को अपने दिल के करीब रखता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस कार्यक्रम में बोलते हुए भावुक होकर अशोक कुमार ने बताया कि कैसे उनके पिता के गुणों और दक्षता ने देश और उसके स्वाभिमान को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, "उन्होंने भारत में हॉकी की एक नई संस्कृति शुरू की... उन्होंने एक खिलाड़ी, सैनिक, नागरिक और पिता के रूप में नए मानदंड स्थापित किए... यह मेरे लिए गर्व का क्षण है।" उनके शब्दों में उस अपार सम्मान और प्रशंसा को दर्शाया गया है। जो ध्यानचंद को भारतीय जर्सी पहनने के दशकों बाद भी प्राप्त है।
खेलेगा इंडिया, खिलेगा इंडिया
गौरतलब है कि इस वर्ष के समारोह की थीम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे "खेलेगा इंडिया, खिलेगा इंडिया" (जब भारत खेलता है, तो भारत खिलता है) से प्रेरित है। जिसने देश भर में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। फिट इंडिया मूवमेंट, जिसने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण गति प्राप्त की है। यह समारोह का मुख्य आकर्षण रहा, जिसमें मंडाविया ने जोर दिया कि अपने स्वास्थ्य को बनाए रखना और सक्रिय रहना प्रत्येक भारतीय की जिम्मेदारी है।
मंडाविया की अपील केवल खेलों के बारे में नहीं थी। यह फिटनेस की संस्कृति को बढ़ावा देने के बारे में थी जो उम्र, लिंग और सामाजिक स्थिति से परे है। उन्होंने आग्रह किया कि परिवार और दोस्तों के साथ खेलों में शामिल होकर, हम एक फिट और सक्रिय भारत के निर्माण की दिशा में एक सामूहिक कदम उठाएँ। एक ऐसा सपना जिसका मेजर ध्यानचंद ने अपने अद्वितीय समर्पण और खेल के प्रति प्रेम के साथ निस्संदेह समर्थन किया होगा।
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